कोरियाई Artificial Sun ने बनाया नया रिकॉर्ड, 20 सेकंड तक 10 करोड़ डिग्री तापमान
सियोल। Korean Artificial Sun: धरती पर ऊर्जा का सबसे बड़ा अक्षय स्रोत सूर्य ही है लेकिन सूर्य का इस्तेमाल आप अपनी सुविधानुसार नहीं कर सकते। यही वजह है कि दक्षिण कोरिया में वैज्ञानिकों ने एक कृत्रिम सूर्य ही बना डाला है जिससे धरती पर सूरज के जैसा उच्च तापमान पाने की कोशिश की जा रही है। अब इस धरती के कृत्रिम सूर्य ने उच्च तापमान का प्लाज्मा का कायम रखने का ऐसा रिकॉर्ड बना दिया है जो अब तक संभव नहीं हो पाया था।
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10 करोड़ डिग्री तापमान
कोरिया सुपरकंडक्टिंग टोकोमाक एडवांस रिसर्च (KSTAR) एक तरह का नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) है जिसे कृत्रिम सूर्य भी कहा जाता है। इसे प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। अब इस सूर्य ने 20 सेकंड तक 10 करोड़ डिग्री को उच्च तापमान के प्लाज्मा को कायम रखने का रिकॉर्ड बनाया है। ये रिकॉर्ड वैज्ञानिकों की धरती पर सूरज के जैसे ऊर्जा स्रोत तक पहुंचने की कड़ी में बहुत अहम है क्योंकि अभी तक इस तामपान को 10 सेकंड तक भी कायम नहीं रखा जा सका था।
पिछले महीने 24 नवम्बर को KSTAR ने जानकारी दी थी कि सियोल यूनिवर्सिटी और अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के संयुक्त शोध में कृत्रिम सूर्य लगातार 20 सेकंड तक प्लाज्मा को 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखने में सफलता हासिल की है। जो KSTAR के 2020 के नाभिकीय संलयन अभियान की प्रमुख शर्तों में से एक था।
इसके पहले 2019 में कृत्रिम सूर्य से नाभिकीय संलयन के जरिए प्लाज्मा को 8 सेकंड तक कायम रखा जा सका था जो कि अपने आप रिकॉर्ड था। इसके पहले 2018 में KSTAR ने पहली बार 10 करोड़ डिग्री का तापमान को पाने में सफलता हासिल की थी लेकिन यह सिर्फ 1.5 सेकंड तक ही कायम रखा जा सका था।
ऐसे होती है संलयन की प्रक्रिया
धरती पर सूर्य के जैसी संलयन प्रक्रिया पैदा करने के लिए संलयन डिवाइस के अंदर हाइड्रोजन के आइसोटोप्स को रखा जाता है जिससे आयन और इलेक्ट्रॉन अलग हो जाता है। ऐसा होने के लिए आयन को बहुत अधिक तापमान पर गर्म करना पड़ता है। वहीं 20 सेकंड तक तापमान को कायम रखने को वैज्ञानिक बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं। अभी तक कभी भी इस तापमान को 10 सेकंड से ज्यादा नहीं ले जाया जा सका है।
केस्टार सेंटर के निदेशक सी यू वून ने कहा कि "10 करोड़ डिग्री सेल्सियस पर प्लाज्मा को लगातार कायम रखने के लिए तकनीक सबसे महत्वपूर्ण है और केस्टॉर द्वारा 20 सेकंड तक इस उच्च तापमान को कायम रखना एक बड़ी घटना है जो आगे के लिए लंबे प्लाज्मा ऑपरेशन के लिए बहुत सारे सवालों के जवाब देगी।"
चीन ने भी किया है ऐसा ही दावा, भारत सतर्क
इस कृत्रिम सूरज के साथ ही कोरिया ने न केवल विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी सफलता पाई है बल्कि चीन जैसे बड़े देश पर भी बढ़त हासिल कर ली है। बता दें कि चीन ने भी हाल में कृत्रिम सूरज बनाने का दावा किया है। चीन की मीडिया रिपोर्ट में सामने आया था कि चीन सिचुआन प्रांत ने स्थित एक लैब में नकली सूरज बनाने में सफलता प्राप्त की थी जिसमें इसी तरह का तापमान हासिल करने की बात कही गई थी। हालांकि अभी इसे लैब में ही तैयार किया जा सकता है लेकिन चीन इसे हथियार के तौर पर भी इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है। ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि चीन की योजना इसे लद्दाख क्षेत्र में इस्तेमाल कर मौसम में परिवर्तन करने की है। यही वजह है कि भारतीय मौसम विभाग लद्दाख क्षेत्र में रडार लगा रहा है ताकि चीन द्वारा कृत्रिम तरीके से मौसम में बदलाव की किसी भी कोशिश का पहले ही पता लगाया जा सके।
जानें भारतीय मौसम विभाग अचानक लद्दाख में क्यों बढ़ा रहा रडार नेटवर्क?