जयशंकर का मास्को दौरा आज, दुनिया की टिकीं निगाहें, रूस-यूक्रेन के बीच शांति कायम करेगा भारत!
भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है। नई दिल्ली हमेशा रूस और यूक्रेन से कहता रहा है युद्ध से कोई भी नतीजा नहीं निकल सकता है।
विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर (S Jaishankar) आज रूस (Russia) की यात्रा पर जा रहे हैं। रूस और यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine Conflict) के बीच भारतीय विदेश मंत्री की मास्को यात्रा पर दुनिया भर की निगाहें टिकी हुई हैं। जयशंकर इस दौरा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) से मुलाकात करेंगे या नहीं इसकी कोई जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। वहीं, खबर के मुताबिक उनकी अधिकांश बैठकें मंगलवार के लिए निर्धारित की गई हैं, जिसमें रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) और उप प्रधानमंत्री और व्यापार उद्योग मंत्री डेनिस मंटुरोव (Denis Manturov) के साथ द्विपक्षीय बैठक शामिल है।
एस जयशंकर की रूस यात्रा पर सबकी नजर
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह यात्रा इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि, 15-16 नवंबर को बाली में G-20 शिखर सम्मेलन आयोजित की जाएंगी। यूक्रेन जंग छिड़ने के बाद यह पहला मौका होगा जब पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत अन्य पश्चिमी नेता एक जगह उपस्थित होंगे।
शांति का पक्षधर रहा भारत
भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है। नई दिल्ली हमेशा रूस और यूक्रेन से कहता रहा है युद्ध से कोई भी नतीजा नहीं निकल सकता है। इसके लिए वार्ता के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। जंग सिर्फ अराजकता और अविश्वास पैदा करता है। रूस-यूक्रेन जंग के बीच जयशंकर को दोनों पक्षों के बीच संभावित वार्ताकार के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि उन्होंने आखिरी बार जुलाई 2021 में रूस का दौरा किया था।
जंग के बीच भारत से दुनिया को उम्मीद
रूस-यूक्रेन जंग को समाप्त करने के लिए भारत विशिष्ट रूप से मजबूत स्थिति में है। वह रूस का सबसे पुरान सच्चा दोस्ता माना जाता है। इन उम्मीदों के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर सात और आठ नवंबर को रूस का दौरा करेंगे। जयशंकर के रूस दौरे ने दुनिया को एक नई उम्मीद की किरण जगा दी है। अब दुनिया की निगाहें भारतीय विदेश मंत्री पर टिक गई हैं। खबरों की माने तो भारत ने पिछले कुछ महीनों में रूस को समझाने का काफी प्रयास किया है। आज दुनिया खाद्य संकट की दौर से गुजर रहा है। ऐसे में भारत चाहता है काला सागर स्थित बंदरगाहों से अनाज की शिपमेंट की जाए। खबरों के मुताबिक भारत कई बार रूस से इस मसले पर बात कर चुका है।
भारत रूस को समझा सकता है!
यूक्रेन और रूस दोनों अच्छी तरह समझते हैं कि भारत उनके हित के लिए हमेशा खड़ा रहेगा। भारत ने दोनों पक्षों से युद्ध समाप्त कर शांति से समस्या का समाधान करे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों के राष्ट्रपति से बातचीत कर जंग को खत्म करने का आह्वान किया था। कुछ दिन पहले पीएम मोदी जेलेंस्की से टेलीफोन पर बातचीत कर यूक्रेन संकट पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। वहीं समरकंद में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से भी इसी मसले पर चर्चा की थी। राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी से कहा था कि वे इससे संबंधित विषयों की जानकारी उन्हें देते रहेंगे।
भारत अपनी बात दुनिया के पटल पर मजबूती से रखता है
पीएम मोदी के नेतृत्व में आज भारत दुनिया के लिए उम्मीद की एक नई किरण बनकर सामने आया है। उसने जंग को रोकने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है। अमेरिका ने भी कई मौकों पर कहा है कि, भारत को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। अमेरिका को मालूम है कि भारत ही इस समस्या का हल निकाल सकता है।
क्या कहता है भारत
भारत नॉन अलाइनमेंट की नीति से बहुत दूर ऑल अलाइनमेंट की नीति पर काफी आगे बढ़ा चुका है। जब भारत कहता है कि वह नियम आधारित विश्व व्यवस्था में यकीन करता है, तो उसके प्रयासों में यह झलकता है कि अपनी स्थिति और प्रभाव का इस्तेमाल विश्व कल्याण की भावना के साथ करने को तैयार है। पिछले महीने डॉ. एस जयशंकर न्यूजीलैंड में कह चुके हैं कि भारत इस युद्ध को खत्म करने के लिए जो भी संभव होगा उसके लिए प्रयास जारी रखेगा।