अमेरिकी डिफेंस पॉलिसी बिल पास, LAC पर चीनी आक्रामकता के खिलाफ भारत को समर्थन
वाशिंगटन। US Defence Policy Bill: अमेरिकी कांग्रेस ने 740 बिलियन अमेरिकी डॉलर के डिफेंस पॉलिसी बिल को पास कर दिया है। इस बिल में भारत-चीन विवाद में अमेरिकी कांग्रेस ने भारत का पक्ष लिया और चीन से भारत की सीमा से लगी एलएसी पर अपना आक्रामक रुख पीछे करने को कहा गया है।
मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव और सीनेट में नेशनल डिफेंस अथराइजेशन एक्ट (NDAA) को पारित कर दिया। इस बिल में भारतीय-अमेरिकी राजा कृष्णमूर्ति का संकल्प पत्र के प्रमुख बिंदु शामिल किए हैं जिसमें चीन की कम्युनिष्ट सरकार से एलएसी पर भारत के साथ अपनी आक्रामता खत्म करने का आग्रह किया गया है।
भारत और चीन के बीच मई से ही वास्तविक सीमा रेखा (एलएसी) पर गतिरोध बना हुआ है। दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है। पूर्वी लद्दाख इलाके में दोनों देशों की सेनाएं इस कड़ाके की ठंड में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर जमी हुई हैं।
दोनों
सदनों
से
हुआ
पास
इस
बिल
को
सीनेट
में
रखने
के
पहले
दोनों
सदनों
की
कांग्रेस
कमेटी
ने
मिलकर
इसका
पुनर्गठन
किया
था।
इसमें
उस
प्रावधान
को
भी
शामिल
किया,
जिसे
कृष्णमूर्ति
सदन
द्वारा
पारित
किए
जाने
के
बाद
संशोधन
के
रूप
में
लेकर
आए
थे।
यह
प्रावधान
भारत-प्रशांत
क्षेत्र
और
उससे
आगे
भारत
में
अपने
सहयोगियों
और
साझेदारों
के
लिए
अमेरिकी
सरकार
के
मजबूत
समर्थन
को
दर्शाता
है।
कांग्रेस
से
पारित
होने
के
बाद
राष्ट्रपति
ट्रंप
के
हस्ताक्षर
होते
ही
यह
बिल
कानून
बन
जाएगा।
वहीं राष्ट्रपति ट्रम्प ने बिल को वीटो करने की धमकी दी है क्योंकि इसमें सोशल मीडिया कंपनियों के लिए कानूनी सुरक्षा की कमी है। वहीं अगर पिछला इतिहास देखें को 59 वर्षों से एनडीएए को कांग्रेस ने पारित किया है और यह बिना बाधा के आगे गया है।
कृष्णमूर्ति ने कहा कि "हिंसात्मक आक्रामकता का शायद ही जवाब हो। यह उस विवादित सीमा क्षेत्र, जिसे एलएसी के माना जाता है, के लिए बिल्कुल ही सच है जो पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को भारत से अलग करता है।"
उन्होंने आगे कहा कि "एनडीएए में मेरी संकल्प भाषा को शामिल करने और कानून में उस कानून पर हस्ताक्षर करना संयुक्त राज्य सरकार का एक स्पष्ट संदेश होगा कि भारत के खिलाफ चीन के सैन्य उकसावों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
कृष्णमूर्ति ने कहा कि "अमेरिका भारत जैसे हमारे महत्वपूर्ण सहयोगियों और साझेदारों के साथ राजनयिक साधनों का उपयोग करते हुए सीमा गतिरोध को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
इसलिए है बेहद खास
बिल के कांग्रेस से पारित होने का अपना महत्व है। इसके पारित होने के साथ ही भारत-चीन तनाव पर अमेरिका के लिए भारत का पक्ष लेना व्यक्तिगत भावना से आगे बढ़कर कांग्रेस का भी अधिकारिक रुख हो गया है। यानि अब यह अमेरिकी नीति का हिस्सा होगा। सीनेट ने हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव द्वारा पारित बिल के संस्करणों को भी शामिल करने पर अपनी सहमति दे दी है।
बिल में भारत के साथ सीमा पर चीनी सेना के आक्रामक व्यवहार पर चिंता व्यक्त की गई है। एनडीडीए का कहना है कि चीन को भारत के साथ मिलकर कूटनीतिक तंत्र के माध्यम से एलएसी पर डि-एस्केलेशन पर काम करना चाहिए। जिससे विवाद या बल के माध्यम की बजाय बातचीत के माध्यम से विवाद का निपटारा करना चाहिए।
बिल में चीन के दूसरे क्षेत्रों में आक्रामक रवैये की भी चर्चा की गई है। इसके मुताबिक, चीन दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर और भूटान के संबंध में आधारहीन क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के प्रयास कर रहा है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर संप्रभुता का दावा करता है। जिस पर वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान भी अपना दावा करते हैं।
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