शर्मनाक: दुनिया के 36 मिलियन लोगों की गुलामी के लिए जिम्मेदार भारत, चीन!
सिडनी। बड़ी ही हैरानी की बात है कि भारत और चीन जो दुनिया की तीसरी महाशक्ति बनने के दावेदार देश हैं, वही देश दुनिया में बढ़ रही दासता के लिए भी जिम्मेदार हैं। ऑस्ट्रेलिया स्थित एक फांउडेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि आज भी दुनिया में करीब 36 मिलियन लोग गुलामों की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। इसमें भारत, चीन और रूस का करीब 61 प्रतिशत योगदान है।
इस
वर्ष
23
प्रतिशत
का
इजाफा
ऑस्ट्रेलिया
की
वॉक
फ्री
फाउंडेशन
(डब्ल्लूयडब्लूयएफ)
ने
अपनी
एक
रिपोर्ट
जारी
की
है।
इस
रिपोर्ट
के
मुताबिक
दुनिया
के
कई
देश
आज
आधुनिक
गुलामी
यानी
जबरन
मजदूरी,
मानव
तस्करी,
जबरन
शादी,
कर्ज
का
बोझ
और
व्यावसायिक
शारीरिक
शोषण
जैसी
गुलामी
या
दास्ता
का
सामना
करने
को
मजबूर
हैं।
रिपोर्ट की मानें तो एनुअल ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स में साफ है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष के जो नतीजे आए हैं, उसमें करीब 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है।
इस रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि दुनिया के 167 देशों में पांच देशों ने ही अकेले इसमें 61 प्रतिशत का योगदान किया है।
क्या हैं आंकड़ें
- भारत 14.29 मिलियन लोगों के साथ पहले स्थान पर है।
- चीन में यही संख्या 3.24 मिलियन है।
- पाकिस्तान में 2.06 मिलियन लोग गुलाम हैं।
- उजबेकिस्तान में 1.2 मिलियन लोग गुलामी की जिंदगी जी रहे हैं।
- रूस में यह आंकड़ा 1.05 मिलियन है।
जारी
है
इसके
खिलाफ
लड़ाई
ऑस्ट्रेलिया,
अमेरिका,
ऑस्ट्रिया,
जॉर्जिया,
आयरलैंड,
नीदरलैंड,
नॉर्वे,
स्वीडन,
स्विटजरलैंड
और
यूके
ही
देश
हैं
जो
इस
समस्या
के
खिलाफ
अपनी
लड़ाई
जारी
रखे
हैं।
वहीं
सिर्फ
ब्राजील,
ऑस्ट्रेलिया
और
अमेरिका
इस
समस्या
को
सफलतापूर्वक
सरकार
के
सामने
रखने
में
सफल
हो
पाएं
हैं।
रिपोर्ट में माउरीटानिया को एक ऐसा देश बताया गया है जहां की जनसंख्या का सबसे ज्यादा हिस्सा यानी चार प्रतिशत आधुनिक गुलामी को झेलने पर मजबूर है। उजबेकिस्तान में 3.97% जनसंख्या, कतर की 1.36% और भारत के 1.14% जनसंख्या इस दंश को झेल रही है।
गुजरे
जमाने
की
बात
नहीं
गुलामी
इस
फाउंडेशन
के
चेयरमैन
और
फाउंडर
एंड्रूय
फॉरेस्ट
ने
कहा,
'ज्यादातर
लोग
आज
भी
मानते
हैं
कि
गुलामी
या
दास्ता
गुजरे
जमाने
की
बात
है
या
फिर
सिर्फ
उन्हीं
देशों
में
मौजूद
है
जिन
देशों
ने
युद्ध
या
फिर
गरीबी
का
सामना
किया
है।
जबकि रिपोर्ट की फाइंडिंग्स हकीकत बयां करने को काफी हैं। साफ है कि आज भी गुलामी दुनिया के देशों में मौजूद है।' एंड्रूय के मुताबिक इसके लिए सभी लोग जिम्मेदार हैं और इसे दूर करने के लिए सबको आगे आना होगा।