मिलिए PSC Samosa Wala के दोस्त PSC Falahaar वाले से, अफसर बनने का ख्वाब टूटा तो दोनों बन गए आत्मनिर्भर
इंदौर, 7 सितंबर। आप सबने एमबीए चायवाला और ग्रेजुएट चायवाली का नाम तो सुना ही होगा। लेकीन आज हम आपको बताने जा रहे हैं 'पीएससी' समोसे वाला और पीएससी 'फलाहार' के बारे में। मध्य प्रदेश के रीवा जिले में जन्मे इंदौर में रहकर पिछले 4 वर्षों से एमपीपीएससी भर्ती परीक्षा के पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहे उम्मीदवारों ने अपनी दुकानों का नाम पीएससी समोसावाला और पीएससी फलाहार रखा है।
4 वर्षों से रुका है एमपीपीएससी का रिजल्ट
दरअसल, पिछले 4 साल से एमपीपीएससी भर्ती परीक्षा के पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहे उम्मीदवारों ने अपनी दुकानों का नाम 'पीएससी फलाहार' और 'पीएससी समोसावाला' रखा है। जानकारी मिली है कि इन वर्षों में 1400 पदों के लिए 10 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने परीक्षा दी। लेकिन परीक्षाओं के अंतिम रिजल्ट अभी घोषित नहीं किए गए हैं।
चार दोस्तों ने मिलकर खोला पीएससी फलाहार
तेज प्रकाश कुशवाहा ने अपने तीन साथी शुभम ठाकुर बैतूल, प्रदीप मीना खंडवा और सूरज बुखारे बैतूल के साथ लगभग दो माह पहले इंदौर में अपना स्टार्टअप पीएससी फलाहार शुरू किया। रीवा जिले के रहने वाले तेज प्रकाश कुशवाहा ने वनइंडिया हिंदी से बात करते हुए बताया कि वह दिल्ली में यूपीएससी के लिए 2 साल समेत पिछले 6 वर्षों से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे दिल्ली चला गया और फिर वर्ष 2018 में इंदौर आ गया।
दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कोचिंग संस्थाओं में पढ़ा रहे हैं
तेज ने कहा कि मैंने एमपीपीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा, 2020 की मुख्य परीक्षा दी है और 2021 की मुख्य परीक्षा दूंगा। लेकिन समस्या यह है कि रिजल्ट घोषित नहीं किया गया है और माता-पिता का बहुत अधिक दबाव है। में दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ कोचिंग कक्षाओं में पढ़ाता था। जिसके बाद अब मैंने अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर अपना कुछ शुरू करने का फैसला किया है।
6 किलो पपीता से शुरू किया स्टार्टअप
उनसे कहा कि स्टार्टअप शुरू करने का विचार बहुत सहज था। हम अपने खाने के लिए पास की फल मंडी से पपीता लाते थे। 1 दिन मैंने अपने एक दोस्त को अपने कमरे में बचा हुआ पपीता परोसा और उसी पल मैंने फैसला किया कि मैं पपीता बेचूंगा। पहले दिन हमने 6 किलो पपीता खरीदा और उससे 34 रुपये का मुनाफा कमाया। हम इसे लगातार एक माह तक बेचते हैं और नियमित रूप से लगभग 400-500 रुपये का लाभ कमाते हैं।
20 रुपए में पीएससी फलाहार
इंदौर मुख्यालय के भोलाराम उस्ताद मार्ग भांवरकुंआ पास पीएससी फलाहार की स्टॉल लगाई जाती है। जो सुबह 6:30 बजे से सुबह 10:30 बजे तक खुली रहती है। 8 से 10 प्रकार के आइटम 20 रुपय में खिलाए जाते हैं। साथ ही साथ कैंप के माध्यम से ब्लड डोनेट करते हैं।
रीवा निवासी अजीत ने खोला पीएससी समोसे वाला
इसके अलावा, इंदौर में रीवा निवासी अजीत सिंह के नेतृत्व में एक और स्टार्टअप 'पीएससी समोसावाला' है। अजीत सिंह ने वनइंडिया हिंदी से बताया कि 2016 में इंटर की परीक्षा पूरी करने के बाद वह 2017 में एमपीपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए इंदौर आया था। उसने 2019 और 2020 वर्ष की पीएससी परीक्षा दी थी। वह पीएससी 2020 को 1 नंबर से पास करने में असफल रहा। और अब 2021 की परीक्षा की तैयारी कर रहा है।
एमपीपीएससी के सपने ने बना दिया पीएससी समोसे वाला
उन्होंने परिवार से आर्थिक बोझ मुक्त करने के लिए स्टार्टअप शुरू किया। एमपीपीएससी पिछले 4 वर्षों से अंतिम रिजल्ट घोषित करने में विफल रहने के कारण अभिभावकों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था। परिवार के सदस्य पढ़ाई के लिए हर वर्ष लगभग 60- 65 हजार रुपये खर्च कर रहे हैं। जब उन्होंने रिजल्ट के बारे में पूछा तो हम अनभिज्ञ हो गए और हमारे पास जवाब नहीं था। मुझे लगता है कि मैं अपने माता-पिता के प्रति दायित्व बनता जा रहा हूं। जिसके बाद मैंने पीएससी समोसे वाला स्टार्टअप शुरू करने और अपनी पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया है। अजित सिंह ने बताया कि फिलहाल तो मैं ही समोसा बनाकर बेचता हूं। मैं दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक करीब 6 घंटे समोसा बेचता हूं और बाकी समय मैं अपनी पढ़ाई में समय देता हूं।
रीवा के स्पेशल समोसे
अजीत ने 1 सितंबर से ही स्टार्टअप शुरू किया है। बावजूद इसके अपना खर्च निकालने के लिए वो सिर्फ 6 घंटा यानी दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक ही दुकान खोलता है। इस दौरान सिर्फ वो ही समोसे बेचता है। अजीत का कहना है कि वो विंध्य क्षेत्र के स्पेशल समोसे बनाता है। साथ में यहां स्पेशल चटनी भी है। यहां 1 समोसा 8 रुपए में चटनी के साथ और 2 समोसे 15 रुपए में चटनी के साथ, जबकि एक समोसा मटर के साथ 15 रुपए में और दो समोसे मटर के साथ 25 रुपए में मिलते हैं।