चीन ने बॉर्डर पर उतारे टैंक, आज से समंदर में भारत दिखाएगा अपनी ताकत
नई दिल्ली। चीन बीते दो सप्ताह से भारत को चेतावनी पर चेतावनी जारी कर रहा है। कभी युद्ध की धमकी दे रहा है तो कभी पंचशील समझौते के उल्लंघन के आरोप लगा रहा है।
चीनी थिंक टैंक दिन-रात सिर्फ और सिर्फ भारत पर आर्टिकल लिख रहे हैं। कोई कह रहा है कि चीन की ताकत के आगे भारत कुछ नहीं तो कोई कह रहा है अंजाम बहुत बुरा होगा।
गुरुवार को चीनी सेना ने तिब्बत में अपने सबसे हाई-टेक टैंक तक उतार दिए और जमकर युद्धाभ्यास भी किया। दूसरी ओर भारत ने उसकी धमकियों पर शांत रुख अपनाया हुआ है।
है पूरी तैयारी
हमारे थिंक टैंक न तो ड्रैगन को धमकी दे रहे हैं और न ही चीनियों की तरह अपने खतरनाक हथियारों का बखान कर रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि भारत हाथ पर हाथ रखे बैठा हुआ है। भारतीय सेना ने तिब्बत में चल रहे चीन के युद्धाभ्यास की काट के लिए पूरी तैयारी कर ली है।
शुरू होगा संयुक्त अभ्यान
आज से भारत, जापान और अमेरिकी नौसेना मालाबार में संयुक्त अभ्यास शुरू कर रही है। यह युद्धाभ्यास 7 जुलाई से शुरू होगा और 17 जुलाई तक चलेगा। पीएम नरेंद्र मोदी बीते दिनों जब व्हाइट हाउस गए थे, तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस अभ्यास का जिक्र बाकायदा ज्वॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया था।
सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास
मालाबार युद्धाभ्यास में बड़ी संख्या में भारत, जापान और अमेरिकी विमान, नौसेना की परमाणु पनडुब्बियां और नौसैनिक पोत हिस्सा लेंगे। भारत और अमेरिका साल 1992 के बाद से नियमित रूप से यह वार्षिक अभ्यास कर रहे हैं, लेकिन इस बार का सैन्य अभ्यास अभूतपूर्व होगा। इसे अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास बताया जा रहा है।
जापान का इजूमो एयरक्राफ्ट करियर शामिल
इस बार के युद्धाभ्यास में पहली बार ऐसा होगा कि तीन एयरक्राफ्ट करियर हिस्सा लेंगे। इसमें अमेरिका का निमित्ज, भारत का आईएनएस विक्रमादित्य और जापान का इजूमो एयरक्राफ्ट करियर शामिल होगा। आपको बता दें कि मालाबार सैन्य अभ्यास चीन को कभी रास नहीं आया है। चीन को लगता है कि ये नौसैन्य अभ्यास प्रशांत में भारत का प्रभुत्व जमाने के लिए किया जाता है।
ये है मालाबार का इतिहास
मालाबार तट उत्तर में गोवा से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैली समुद्री तट रेखा है। यह दक्षिण भारत के पश्चिमी समुद्र तट के लिए लंबे समय से प्रचलित नाम है। मालाबार तट का एक विशाल हिस्सा प्राचीन केरल के चेर वंश राज्य के अधीन था।
कर्नाटक का तटीय क्षेत्र शामिल
पुर्तगालियों ने वहां कई व्यापारिक चौकियां बनाई थी और 17वीं शताब्दी में डच तथा 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी भी इसी रास्ते आए। 18वीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया। मालाबार तट में अब केरल राज्य का अधिकांश हिस्सा और कर्नाटक का तटीय क्षेत्र शामिल है।
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