Winter Session: मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में मोदी सरकार को दी हिदायत
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में कहा कि उच्च सदन के सदस्यों का केंद्र और राज्य के संबंधों पर बहस करना अनिवार्य है क्योंकि राज्यसभा राज्यों की परिषद है। दरअसल जिस तरह से जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म करके इसे दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित किया गया, उसका विपक्ष ने विरोध किया था और कहा था कि सरकार को इस फैसले से पहले सदन में चर्चा करनी चाहिए थी। विपक्ष की मांग का समर्थन करते हुए मनमोहन सिंह ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की।
मनमोहन सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित राज्य में बदलने के फैसले के काफी दूरगामी परिणाम होंगे। सरकार को इस तरह के फैसले लेने से पहले सदन में चर्चा करनी चाहिए थी और उसकी राय लेनी चाहिए थी। राज्यसभा के 250वें सत्र को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि संरचनात्मक बदलाव सदन के कामकाज के समय में ही लाने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि कोई भी कानून जल्दबाजी में पास ना हो और ना ही भवानओं के उबार में इसे पारित किया जाए। राज्यसभा को फैसले लेने के लिए अधिक समय मिलना चाहिए क्योंकि इसके सदस्यों की संख्या लोकसभा के सदस्यों की कुल संख्या की लगभग आधी है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी बिल को राज्यसभा के सदस्यों को बहुत पहले देना चाहिए ताकि वह इसपर अपनी राय रख सके, इसकी आलोचनात्मक विवेचना कर सके। यही नहीं राज्यसभा के सदस्यों को अपना भाषण देने के लिए अधिक समय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि 14वीं व 15वीं लोकसभा की तुलना में 16वीं लोकसभा में सिर्फ 25 फीसदी ही बिल कमेटियों को दिए गए। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्यसभा को संबोधित करते कहा कि लोकसभा भंग होती है लेकिन राज्यसभा न कभी भंग होती है और ना कभी होना है।
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