क्या 'आप' की तर्ज पर बीजेपी विधायकों पर भी गिरेगी गाज?
छत्तीसगढ़ में भाजपा के 49 में से 11 विधायक संसदीय सचिव पद पर कार्यरत हैं.
संसदीय सचिवों के मामले में अगर चुनाव आयोग ने दिल्ली की तरह कोई फ़ैसला किया तो छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सरकार संकट में आ सकती है.
90 सीटों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के 49 विधायक हैं, जिनमें से 11 संसदीय सचिव के पद पर कार्यरत हैं. दिल्ली की तर्ज़ पर यहां कार्रवाई हुई तो इनकी संख्या 38 रह जायेगी. इसके उलट कांग्रेस पार्टी के पास अभी 39 सदस्य हैं.
राज्य के 11 संसदीय सचिवों के कामकाज पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पहले ही रोक लगा रखी है.
अलग कमरा, वेतन, सुविधाएं
छत्तीसगढ़ में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त इन संसदीय सचिवों को मंत्रालय में अलग से कमरा, वेतन के 73,000 रुपए के अलावा 11,000 रुपए और मंत्रियों को मिलने वाली अधिकांश सुविधायें मिलती रही हैं.
इसके अलावा विधानसभा में कई अवसरों पर मंत्री की जगह संसदीय सचिव ही प्रश्नों का उत्तर भी देते रहे हैं.
अब कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि चुनाव आयोग छत्तीसगढ़ में भी संसदीय सचिवों के पद पर काम करने वाले विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफ़ारिश करे.
गौरतलब है कि दिल्ली में चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव के पद पर रहने वाले 'आप' के मौजूदा 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने को लेकर राष्ट्रपति को सिफ़ारिशें भेजीं हैं.
शुक्रवार को इस ख़बर के आने के बाद से ही छत्तीसगढ़ की राजनीति भी गरमा गई है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने उठाए सवाल
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा, "अगर दिल्ली में चुनाव आयोग संसदीय सचिवों की सदस्यता रद्द करने की सिफ़ारिश कर सकती है तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं? हम रमन सिंह से मांग करते हैं कि नैतिकता के आधार पर वे अपने संसदीय सचिवों से त्यागपत्र लें."
छत्तीसगढ़ में लाभ के पद का हवाला देते हुए संसदीय सचिवों के पद को लेकर पहले भी विवाद होते रहे हैं.
कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक मोहम्मद अकबर ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के समक्ष इस मुद्दे पर 22 अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन निर्धारित समय सीमा में इसे भारत निर्वाचन आयोग को प्रेषित नहीं किये जाने के बाद मोहम्मद अकबर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
मोहम्मद अकबर ने सुनवाई के दौरान अदालत से मांग की थी कि जब तक संसदीय सचिवों से जुड़े मामले में अंतिम फैसला न आ जाए, तब तक छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिवों की सुविधाओं और उनके कामकाज पर रोक लगाई जाए.
इसके बाद पिछले साल अगस्त में हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों के अधिकारों को 'सीज़' करने का आदेश दिया था. इस मामले में अदालत का अंतिम फ़ैसला आना बाकी है.
मोहम्मद अकबर ने चुनाव आयोग के ताजा फ़ैसले के बाद उम्मीद जताई है कि छत्तीसगढ़ में भी संसदीय सचिवों की सदस्यता रद्द करने का फ़ैसला होगा.
इधर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में एक व्यवस्था के तहत संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई थी. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में हाईकोर्ट का फ़ैसला आना बाकी है. इसलिये इस विषय पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.