हर साल 3600 करोड़ रुपए बह जाते हैं बाढ़ में
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। तमाम दावों और योजनाओं के बाद भी आज तक भारत में बाढ़ के प्रकोप से राहत नहीं मिल पायी है। अगर हम यह कहें कि हर साल देश में करीब 3600 करोड़ रुपए बाढ़ के पानी में बह जाते हैं, तो आपके पास यकीन नहीं करने की कोई गुंजाइश नहीं होगी, क्योंकि स्थिति वाकई में भयावह है।
हर साल बाढ़ के चलते हर साल करीब सवा तीन करोड़ लोग प्रभावित होते हैं। बाढ़ की विभीषका के कारण नुकसान होता है सालाना 3600 करोड़ रुपये का।
बाढ़ की चपेट में देश के बहुत से सूबे एक बार फिर से हैं। उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, असम में बाढ़ के कारण सैकड़ों गांवों को प्रभावित किया और 100 से ज्यादा लोग मारे गए।
राजधानी से प्रकाशित होने वाले एक अंग्रेजी दैनिक की तरफ से किए गए अध्ययन के मुताबिक, देश में सन 1953 से लेकर 2011 हर साल सवा तीन करोड़ लोग सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं। इसके चलते देश को हर साल 3600 करोड़ रुपये का हर साल नुकसान होता है। मौसम विज्ञान विभाग के सूत्रों के अनुसार, असम के ढुबरी और बिहार के झंझारपुर पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
वरिष्ठ लेखक और पत्रकार शशि कुमार झा कहते हैं कि इन आंकड़ों से साफ है कि देश बाढ़ को रोकने की लड़ाई हार गया है। इसके अलावा बाढ़ कुछ लोगों को मालामाल कर देती है। अब सवाल यह उठता है कि देश को हो रहे इतने बड़े नुकसान को बचाने के लिये हर साल बनायी जाने वाली बाढ़ से बचाव की योजनाओं का पैसा कौन डकार जाता है? क्योंकि अगर वाकई में उस धन को ईमानदारी से खर्च किया गया होता, तो इस साल बिहार, बंगाल और ओडिशा में तबाही न मचती।