क्या कोवैक्सिन को जून में मिल जाएगी WHO की मंजूरी ? भारत बायोटेक ने किया बड़ा दावा-सूत्र
नई दिल्ली, 25 मई: देश में पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से कोरोना के नए संक्रमण कम हो रहे हैं और ऐक्टिव मामलों की संख्या में भारी कमी आई है, पढ़ाई या घूमने के लिए विदेश जाने की इच्छा रखने वालों के दिलों में एक नई उम्मीद जगी है। लेकिन, उन स्टूडेंट्स के मन में दुविधा बरकरार है, जिन्हें अगस्त-सितंबर में पढ़ाई के लिए विदेशी यूनिवर्सिटी जाना है पर उन्होंने कोवैक्सिन का टीका लगवा लिया है। उन्हें आशंका इस वजह से है कि अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और यूरोपीयन यूनियन ने इस भारतीय वैक्सीन को मंजूरी वाली लिस्ट में जगह नहीं दी है। क्योंकि, बताया जा रहा है कि कई बड़ी यूनिवर्सिटी उन्हें ही आसानी से आने की अनुमति देंगे, जिन्होंने उनके देश या डब्ल्यूएचओ से मंजूर की गई वैक्सीन लगवाई हो। लेकिन, मंगलवार को भारत बायोटेक की ओर से इस संबंध में एक सकारात्मक खबर आई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मांगी और जानकारी
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि भारत बायोटेक को इस बात का पक्का यकीन है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उसकी वैक्सीन को मंजूरी दे देगा। देश में इस वक्त यह बात इसलिए चर्चा का विषय बनी हुई है, क्योंकि विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले कई छात्रों के मन में इस वैक्सीन को लेकर कई तरह की आशंकाए हैं। मसलन, यूनिवर्सिटी ऑफ लिमरिक की कंट्री एडवाइजर सौम्या पांडे ने कहा, 'कोवैक्सिन मंजूरी वाली लिस्ट में नहीं है, इसका मतलब हुआ कि स्टूटेंड अनिवार्य होटल क्वारंटाइन से नहीं बच पाएंगे। 14 दिनों तक होटल में रहना बहुत ज्यादा महंगा पड़ेगा।' बता दें कि फाइजर, मॉडर्ना और कोविशील्ड विश्व स्वास्थ्य संगठन की लिस्ट में शामिल हैं,लेकिन कोवैक्सिन के लिए उसका कहना है कि 'और ज्यादा जानकारी की आवश्यकता है।'
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जून तक विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी मिलने की उम्मीद!
जानकारी के मुताबिक इस संबंध में भारत बायोटेक की मंगलवार को केंद्र सरकार के साथ एक बैठक हुई है, जिसमें उसने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन में उसका आवेदन सही ट्रैक पर है और उसने 90 फीसदी जरूरी दस्तावेज उसकी मंजूरी के लिए जमा कर दिए हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने कहा है कि 'जो भी बाकी है उसे जून तक जमा कर दिए जाने की उम्मीद है।' कंपनी की ओर से सरकार को यह भी आश्वस्त किया गया कि दूसरी वैक्सीन के लिए डब्ल्यूएचओ की मंजूरी लेने के उसके पुराने अनुभवों को देखकर उसे पूरा यकीन है कि इसके बाद उसे हरी झंडी मिल जाएगी। बता दें कि विदेशी विश्वविद्यालयों में अगस्त-सितंबर से नया सत्र शुरू होने की संभावना है।
कई देशों से अंतिम चरण में है बातचीत
यही नहीं, सरकारी सूत्रों ने यह भी बताया है कि भारत बायोटेक ने जानकारी दी है कि ब्राजील और हंगरी से रेगुलेटरी अप्रूवल मिलने की कार्रवाई अंतिम चरण में है। यही नहीं जानकारी के अनुसार कंपनी ने केंद्र से यह भी कहा है कि 'भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड अमेरिका में स्मॉल-स्केल फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने के लिए वहां के एफडीए से भी बातचीत की फाइनल स्टेज में हैं।' कंपनी ने सरकार से कहा है कि वह इन देशों की रेगुलेटरी अथॉरिटी के साथ अपने मजबूत डेटा के साथ लगातार संपर्क में है। उसके पास 6 महीने से 8 महीने तक एंटी-बॉडी की मौजूदगी वाले लंबे समय के आंकड़े मौजूद हैं। यही नहीं, सूत्र के मुताबिक कंपनी का कहना है कि वह उन चंद कंपनियों में से है, जिसने कोविड वायरस के सभी चार वेरिएंट पर पेपर पब्लिश किया है।
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कोवैक्सिन को 11 देशों में मिल चुकी है मंजूरी
कंपनी का कहना है के उसे 11 देशों से रेगुलेटरी अप्रूवल मिल चुका है और सात देशों की 11 कंपनियों ने उससे टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और कोविड टीके के उत्पादन में दिलचस्पी दिखाई है। जानकारी के मुताबिक भारत बायोटेक ने कहा है, 'यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी देश ने वैक्सीन पासपोर्ट की शुरुआत नहीं की है। मंजूरी के लिए देशों के पास अपनी जरूरतें हैं, ज्यादातर मामलों में यात्रा के लिए आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट साथ रखना जरूरी है।' अप्रैल में भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने दावा किया था कि कोवैक्सिन ओवरऑल 78 फीसदी तक प्रभावी है और गंभीर मामलों में इसने कोविड के खिलाफ 100 फीसदी प्रभाव दिखाया है।