क्यों हर बार पंपोर की बिल्डिंग बनती हैं आतंकियों का निशाना
पंपोर। जम्मू कश्मीर एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट यानी जेकेईडीआई पंपोर स्थित इस इंस्टीट्यूट की बिल्डिंग पर आठ माह के अंदर दूसरा बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इसस पहले फरवरी में भी इस बिल्डिंग पर आतंकी हमला हुआ था।
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उस हमले में इंडियन आर्मी के कैप्टन पवन बेनीवाल और कैप्टन तुषार महाजन के साथ ही पांच सैनिक शहीद हो गए थे।
फरवरी में जब हमला हुआ तो उस समय चार आतंकियों ने बिल्डिंग को निशाना बनाया। अब जब अक्टूबर में हमला हुआ है तो आतंकियों की संख्या कितनी है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
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बस इतनी ही जानकारी आई है कि दो आतंकियों को 50 घंटे से ज्यादा समय से जारी मुठभेड़ में मार गिराया गया है।
मार्च 1997 में हुई स्थापना
पुलवामा जिले में स्थित जेकेईडीआई बिल्डिंग का दूसरी दफा आतंकियों के निशाने पर आना आतंकियों की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। मार्च 1997 में इस इंस्टीट्यूट की स्थापना हुई थी और राज्य में उद्यम को बढ़ावा देने के लिए इसे शुरू किया गया था।
फरवरी 2004 में सक्रिय
इस इंस्टीट्यूट ने फरवरी 2004 में पूरी तरह से अपनी नियमित गतिविधियां शुरू कर दी थीं। यहां से इस इंस्टीट्यूट ने राज्य में एक ऐसे केंद्र के तौर पर खुद को स्थापित कर लिया जहां पर युवाओं को बेहतर उद्यमी बनने के लिए उचित ट्रेनिंग दी जाती और उन्हें उद्यमशीलता की बारीकियों के बारे में बताया जाता है।
लद्दाख से भी आते हैं युवा
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख से आने वाले युवाओं के लिए यह इंस्टीट्यूट एक अहम सेंटर बन गया। राज्य के 22 जिलों में इस इंस्टीट्यूट के कम्यूनिटी ऑर्गनाइजर्स मौजूद हैं जो उद्यमशीलता के विकास पर करीब से नजर रखते हैं और इसे बढ़ावा देने में लगे रहते हैं।
युवाओं को आसानी से मिलता है लोन
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के जो युवा अपना कोई स्टार्ट-अप शुरू करना चाहते हैं, उन्हें इस इंस्टीट्यूट की ओर से आठ लाख रुपए तक का लोन तुरंत मिल जाता है। युवाओं को सिर्फ छह प्रतिशत की दर से इस लोन की अदायगी करनी होती है। सिर्फ इतना ही नहीं इन युवाओं को तीन हफ्तों की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
क्यों सिर्फ जेकेईडीआई बनती निशाना
सोमवार को इस बिल्डिंग पर जो हमला हुआ उसकी असल वजह तो इन्क्वायरी के बाद ही सामन आएगी लेकिन विशेषज्ञ इसके पीछे की वजह को बताने से नहीं हिचकिचाते हैं। इस बिल्डिंग को निशाना बनाकर आतंकी युवाओं को एक कड़ा संदेश देना चाहते हैं। आतंकी युवाओं को इस तरह के किसी भी इंस्टीट्यूट से दूर रख उन्हें विद्रोह में शामिल होने के लिए भड़काने के ख्वाहिशमंद हैं। इस वजह से यह इंस्टीट्यूट अक्सर आतंकियों के निशाने पर रहता है।
कश्मीर में शांति लाने की कोशिश
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कश्मीर के भटके हुए युवाओं को सही रास्ते पर लाने के लिए कई तरह की पहल की गई हैं। जेकेईडीआई भी अब उसी पहल का हिस्सा है। सरकार की मंशा है युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए और उन्हें पत्थरबाजी जैसी घटनाओं से दूर रखा जाए। ईडीआई युवाओं को कुशल उद्यमी बनाकर इन सबसे दूर रखने में मददगार साबित हो सकता है।
क्या कहा उमर अब्दुल्ला ने
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस बिल्डिंग पर हो रहे आतंकी हमलों का जिक्र किया। उमर ने ट्वीट किया और लिखा कि ईडीआई ने हमेशा से युवा कश्मीरी लड़कों और लड़कियों को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद की है। उन्हें अब सरकारी नौकरियों की जरूरत नहीं हैं। उमर की मानें तो यही बात आतंकियों को अखर रही है। उनका कहना है कि आतंकी युवाओं को आतंक की राह पर चलते हुए देखना चाहते हैं।