इस खास रणनीति के तहत कैराना से दूर हैं अखिलेश यादव!
इस खास रणनीति के तहत कैराना से दूर हैं अखिलेश यादव
नई दिल्ली। पश्चिमी यूपी की कैराना लोकसभा और बिजनौर क्षेत्र की नूरपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव पर इस समय पूरे प्रदेश की नजरें लगी हैं, खासतौर से कैराना तो भाजपा और विपक्ष के बीच नाक की लड़ाई बनी हुई है। दोनों ही सीटें भाजपा के पास थी, ऐसे में भाजपा इन्हें बरकरार रखना चाहती है तो विपक्ष एकजुटता के साथ इन सीटों को झटकना चाहता है। खास बात ये है कि इस चुनाव में जहां योगी आदित्यनाथ रैलियां कर रहे हैं, वहीं विपक्ष के अहम चेहरे अखिलेश यादव प्रचार के लिए अभी तक नहीं आए हैं।
रणनीति के तहत प्रचार से दूर हैं अखिलेश!
कैराना में रालोद तो नूरपुर में सपा का कैंडिडेट चुनाव लड़ रहा है। अखिलेश यादव के प्रचार के लिए ना आने के पीछे एक अहम रणनीति को माना जा रहा है। दरअसल प्रचार के दौरान इस क्षेत्र में 2013 में हुए दंगों के मामले को भाजपा और योगी लगातार उठा रहे हैं। भाजपा इसके लिए लगातार अखिलेश यादव को निशाना बना रही है, जो उस वक्त सीएम थे। ऐसे में माना जा रहा है कि अखिलेश को सामने ना लाकर राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं को ही सामने रखा जा रहा है।
घर-घर जाकर जनसंपर्क पर विश्वास: चौधरी
अखिलेश यादव के कैराना और नूरपुर में रैली ना करने पर सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि पार्टी कार्यकर्ता चुनाव में लगे हैं और अखिलेश यादव उनके सपंर्क में हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने बड़ी रैलियां ना कर घर-घर जाकर लोगों से मिलने की रणनीति अपनाई है और इसी पर काम किया जा रहा है। रालोद के अनिल दुबे ने भी कहा कि जयंत चौधरी और अजित सिंह बड़ी रैलियां ना कर गांव-गांव जाकर लोगों से मिलने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
भाजपा के खिलाफ एकजुट है विपक्ष
कैराना में भाजपा से मृगांका सिंह चुनाव लड़ रही हैं तो रालोद से तबस्सुम हसन मैदान में हैं। तबस्सुम रालोद से टिकट होने से दो दिन पहले तक सपा में थीं। उनका बेटा भी सपा से विधायक है। रालोद प्रत्याशी को सपा, बसपा, कांग्रेस, पीस पार्टी और आम आदमी पार्टी का समर्थन है। दोनों सीटों पर 28 मई को मतदान होगा जबकि 31 मई को मतगणना होगी।
कैराना में बोले आदित्यनाथ, हमारे कार्यकर्ता ही दंगे के वक्त आपके साथ थे