मोदी जी मानव विकास में हम कब अव्वल होंगे?
बेंगलूरू। देश के प्रधानमंत्री तमाम रैलियों सभाओं में बोल रहे हैं कि देश महाशक्ति बनेगा। पंद्रह अगस्त के मौके पर दिया गया उनका मेक इन इंडिया नारा भी काफी प्रचलित हुआ है। अभी तक इसकी नारे को लेकर जय-जय कार हो रही है। नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि देश में विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके बाद देश महाशक्ति होगा। लेकिन इतने भाषणों में नरेंद्र मोदी ने मानव विकास सूचकांक में हम इतने पिछड़े क्यों हैं इसको लेकर कोई बात नहीं छेड़ी और न ही इस सूचकांक में टॉप करने का दावा किया। आखिर क्यों।
क्या प्रधानमंत्री का दायित्व महज विदेशी निवेश आमंत्रित करने तक है। मोटे तौर पर देखें तो मानव कल्याण से जुड़े फैसलों को लेकर नरेंद्र मोदी ने बहुत कम ही बोला है। विश्व के तमाम देशों के विकास के मापने के लिए बनाई जाने वाली मावन विकास सूचकांक की लिस्ट की बात करें तो इसमेें भारत काफी पीछे है।
मानव विकस सूचकांक में कुल 187 देशों की गिनती की जाती है। इसमें भारत का स्थान 135वां है। यह स्थान पिछले कई सालों से जस का तस बना हुआ है।
शुरूआती एक हजार दिन जीवन पर भारी
मानव विकास की सच्चाई की तरफ नजर डालें तो पता लगेगा कि तस्वीर कितनी भयानक है। मानव विकास के जानकार बताते हैं कि महिला के गर्भवति होने और डिलिवरी होने के बाद कम से कम एक हजार दिनों तक जीवन की अपेक्षाएं बहुत कम होती हैं। इसका कारण पोष्टिक खाना और गरीबी के कारण तीनों समय पर पर्याप्त भोजन न मिलना है।