आखिर इतने विनाशकारी तूफान का नाम 'तितली' क्यों, क्या है चक्रवात का पाकिस्तान से कनेक्शन?
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भुवनेश्वर। चक्रवाती तूफान 'तितली' की वजह से ओडिशा और आंध्र प्रदेश के कई जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है और प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है। 3 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जिला अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि कोई दुर्घटना ना घटे और स्कूल-कॉलेज को बंद किया गया है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर इतने भयंकर और तबाही मचाने वाले तूफान का नाम 'तितली' क्यों हैं क्योंकि 'तितली' तो हमेशा लोगों को खुशी और प्रेम का संदेश देती है, ऐसे में विनाशकारी तूफान का नाम 'तितली' क्यों पड़ा, ये किसी के समझ में नहीं आ रहा है।
पाकिस्तान ने दिया 'तितली' नाम...
तो इसके पीछे एक खास कारण ये है कि इस तूफान को 'तितली' नाम दिया है पड़ोसी देश पाकिस्तान ने, दरअसल प्रत्येक चक्रवात का नाम उस देश का मौसम विभाग तय करता है, जहां से चक्रवात उठता है। अगर कोई भी चक्रवातीय तूफान अटलांटिक महासागर के क्षेत्र में आता है तो इसे 'हरिकेन' कहते हैं, अगर तूफान प्रशांत महासागर के क्षेत्र में आए तो इसे 'टाइफून' और अगर चक्रवातीय तूफान हिंद महासागर के क्षेत्र में आता है तो इसे 'साइक्लोन' कहा जाता है।
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इतिहास
आपको बता दें कि 1945 के पहले तक किसी भी चक्रवात का कोई नाम नहीं होता था, लिहाजा मौसम वैज्ञानिकों व भूवैज्ञानिकों को बहुत दिक्कत होती थी। जब वो अपने अध्ययन में किसी चक्रवात का ब्योरा देते थे, या चर्चा करते थे, तब वर्ष जरूर लिखना होता था और अगर वर्ष में थोड़ी सी भी चूक हो गई, तो सारी गणित बदल जाती थी। इसी दिक्कत से निबटने के लिये 1945 से विश्व मौसम संगठन ने चक्रवातों को नाम देने का निर्णय लिया और तब से अब तक जितने भी चक्रवात आये उन्हें अलग-अलग नाम दिये गये हैं।
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क्या है फायदा
इसके पीछे अन्य उद्देश्य यह हैं कि इससे लोग लंबे समय तक चक्रवात को याद रखते हैं। चक्रवात पर रिपोर्ट तैयार करने में कोई दिक्कत नहीं होती, लोगों को चौकन्ना करने में भी आसानी होती है। यह वो नाम होता है, जो लोगों के बीच बहुत प्रचलित हो, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उस नाम को याद रख सकें और आसानी से समझ सकें।
कौन तय करता है नाम?
अलग-अलग देशों के मौसम विभाग द्वारा प्रस्तावित चक्रवातों के नाम तय करने के लिये दुनिया भर में अलग-अलग समितियां हैं- इस्केप टाइफून कमेटी, इस्कैप पैनल ऑफ ट्रॉपिकल साइक्लोन, आरए 1 ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी, आरए 4 और आरए 5 ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी। असल में यही कमेटियां दुनिया भर के अलग-अलग स्थानों पर आने वाले चक्रवातों पर नजर भी रखती हैं। साल 2004 में हिंद महासागर के 8 देशों ने भारत की पहल पर चक्रवाती तूफानों के नामकरण की व्यवस्था शुरू की, इन देशों में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, ओमान और थाईलैंड शामिल हैं।