Nirbhaya Case: इस कानून के वजह से बार-बार टल रही है गैंगरेप करने वाले दंरिदों की फांसी
नई दिल्ली। एक बार फिर से निर्भया के दोषियों की फांसी टल गई है। शनिवार एक फरवरी को तिहाड़ जेल में सुबह छह बजे 16 दिसंबर निर्भया गैंगरेप और हत्या के दोषी पवन, अक्षय, मुकेश और विनय को फांसी दी जानी थी। मगर अब इन्हें कब फांसी पर लटकाया जाएगा कोई नहीं जानता है। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा है कि अगले आदेश तक दोषियों को फांसी नहीं जा सकती है। दरअसल ये चारों दोषी एक ऐसे कानून का फायदा उठा रहे हैं जिसकी वजह से उनकी फांसी बार-बार टल रही है। इस कानून को आप सिस्टम की एक कमी करार दे सकते हैं।
दिल्ली जेल नियम का सेक्शन 854
दिल्ली जेल नियम का सेक्शन 854 एक ऐसा कानून है जिसके तहत एक केस में एक से ज्यादा दोषियों को तब तक फांसी नहीं दी जा सकती है जब तक कि वे अपने सभी कानूनी विकल्पों का प्रयोग न कर लें। इन कानूनी विकल्पों में रिव्यू पीटिशन से लेकर क्यूरेटिव पीटिशन और साथ ही राष्ट्रपति पास दया याचिका तक भेजने का नियम शामिल हैं। यहां तक कि अगर राष्ट्रपति ने दया याचिका को खारिज कर दिया है तो भी दोषी के पास सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपील करने का अधिकार है। गृह मंत्रालय की तरफ से हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई थी कि वह मौत की सजा में एक समय सीमा निर्धारित करे।
सरकार ने की समय सीमा निर्धारित करने की अपील
गृह मंत्रालय ने अपील में यहां तक कहा है कि डेथ वॉरंट जारी होने के बाद फांसी के लिए सात दिनों की समयसीमा निर्धारित की जानी चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गृह मंत्रालय की याचिका पर जो भी फैसला लिया जाएगा उसका निर्भया के केस पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा। 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दोषी मुकेश सिंह की क्यूरेटिव पीटिशन को खारिज कर दिया गया था। मुकेन ने अपने दया याचिका के ठुकराए जाने के राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। अब उसके पास कोई भी कानूनी विकल्प नहीं बचा है।
मुकेश के पास खत्म सारे विकल्प
मुकेश की याचिका खारिज होते ही एक और दोषी विनय ने राष्ट्रपति पास दया याचिका भेज दी। राष्ट्रपति सचिवालय में इस याचिका को सीधे फाइल किया गया। एक और दोषी अक्षय ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पीटिशन दायर की थी। वहीं, चौथे दोषी पवन के पास अभी क्यूरेटिव पीटिशन फाइल करने का मौका बचा है। सेक्शन 854 के तहत दिल्ली जेल नियमों में कुछ बदलाव किए गए थे। राष्ट्रपति अगर दया याचिका खारिज करते हैं तो फिर दो हफ्ते के बाद दोषी को फांसी दी जा सकती है।
मां आशा देवी का रो-रोकर बुरा हाल
पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की फांसी टाल दी है। कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी है। यह दूसरा मौका है जब दोषियों की फांसी टाली गई है। इससे पहले चारों को 22 जनवरी सुबह सात बजे फांसी देने की तारीख तय हुई थी। फांसी टलने की खबर मिलते ही निर्भया की मां आशा देवी रोने लगीं। उन्होंने कहा था, 'दोषियों के वकील एपी सिंह ने मुझे चुनौती दी है कि दोषियों को कभी मौत की सजा नहीं होगी। मेरी लड़ाई जारी रहेगी। सरकार को दोषियों को फांसी पर लटकाना ही पड़ेगा।'