कर्नाटक की तरह जम्मू-कश्मीर में नहीं हो सकता महागठबंधन, जानिए क्या है वजह
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से बीजेपी ने पीडीपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया, इसके बाद एक चर्चा जरूर शुरू हो गई क्या यहां भी महागठबंधन की रणनीति सामने आएगी? जिस तरह से एक महीने पहले कर्नाटक में कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया, जम्मू-कश्मीर के ताजा सूरत-ए-हाल में इसकी संभावना कम ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि जम्मू-कश्मीर की प्रमुख विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने साफ कर दिया कि वो महागठबंधन पर विचार नहीं कर रही हैं।
महबूबा मुफ्ती की सरकार गिरी
जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार से बीजेपी के समर्थन वापसी के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान सियासी घटनाक्रम काफी तेजी से बदला। दिल्ली से लेकर जम्मू-कश्मीर तक बैठकों का दौर शुरू हो गया। हालांकि कोई भी नया गठबंधन या फिर नई सरकार बनने की कोई गुंजाइश इसलिए समाप्त हो गई क्योंकि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने साफ तौर से जता दिया कि वो किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। कांग्रेस पार्टी की ओर से गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पीडीपी के साथ गठबंधन का सवाल नहीं उठता।
नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने किया गठबंधन से इंकार
दूसरी ओर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ऐलान किया कि जम्मू-कश्मीर में वो नई सरकार बनाने की पहल नहीं करेंगे। उन्होंने गवर्नर रूल की पैरवी करते हुए जल्द से जल्द चुनाव कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि 2015 में उन्होंने पीडीपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन वह उस समय के लिए एक बार का ही ऑफर था, जिसकी वैधता काफी पहले ही समाप्त हो गई थी। उमर अब्दुल्ला के इस ऐलान के बाद प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन की संभावनाएं समाप्त हो गई।
क्या है सीटों का गणित
जम्मू-कश्मीर विधानसभा की ताजा स्थिति पर गौर करें तो पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है, उनके कुल 28 विधायक हैं। 25 विधायकों के साथ बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15 सीटें और कांग्रेस के पास 12 सीटें हैं। बीजेपी के गठबंधन से अलग होने के बाद नई सरकार बनाने के लिए जरूरी है कि गठबंधन में पीडीपी शामिल हो।
महागठबंधन की संभावनाएं न के बराबर
सीटों के अंकगणित को देखें तो पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस अगर साथ आते हैं तो उनका आंकड़ा 43 होता है, जो कि बहुमत से एक सीट कम है। ऐसी स्थिति में अगर कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन को बाहर से सपोर्ट करे तो सरकार का गठन हो सकता है। हालांकि अब इस बात की संभावनाएं कम ही नजर आ रही है। आपको बता दें कि कर्नाटक में हाल ही संपन्न हुए चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन बहुमत से दूर रहने की वजह से कांग्रेस और जेडीएस ने पोस्ट पोल एलायंस करके सरकार बना ली।