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हम पहले भारतीय फिर बंगाली- TMC छोड़ने से पहले ममता को शुभेंदु अधिकारी की खुली चुनौती ?

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नई दिल्ली- पश्चिम बंगाल के पूर्व कैबिनेट मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने अभी तृणमूल कांग्रेस छोड़ी नहीं है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि वह ममता बनर्जी की पार्टी में रहते हुए ही उन्हें अब खुली चुनौती देने लगे हैं। सत्ताधारी पार्टी की ओर से शुरू की गई बंगाली बनाम बाहरी के बहस में कूदते हुए उन्होंने साफ कहा है कि जो लोग दूसरे राज्यों से आते हैं, उन्हें बाहरी नहीं कहा जा सकता। अधिकारी ममता सरकार से इस्तीफा दे चुके हैं और पिछले कुछ महीने से तृणमूल नेतृत्व से दूरी बनाकर चल रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने कहा है कि वह पहले भारतीय हैं और उसके बाद बंगाली हैं। माना जा रहा है कि उनका यह बयान इस बात का सीधा संकेत है कि वह पार्टी से रास्ता नापने की तैयारी कर चुके हैं।

ममता बनर्जी को शुभेंदु की खुली चुनौती?

ममता बनर्जी को शुभेंदु की खुली चुनौती?

शुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार को हल्दिया में बिना नाम लिए पार्टी नेतृत्व की इस बात के लिए कड़ी आलोचना की है कि वो जनता से ज्यादा पार्टी को महत्त्व दे रहे हैं। वो पूर्वी मिदनापुर जिले के हल्दिया में स्वतंत्रता सेनानी सतीश चंद्र समांता के जयंती के मौके पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर बंगाल में बीजेपी को रोकने के लिए टीएमसी लीडरशिप की ओर से शुरू की गई बाहरी बनाम बाहरी बस को लेकर उन्होंने कहा कि बंगाल भारत का हिस्सा है और 'दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के साथ बाहरी जैसा बर्ताव नहीं किया जा सकता।' गौरतलब है कि ममता बनर्जी की पार्टी अक्सर बीजेपी पर यह कहकर हमला बोलती है कि वह विधानसभा चुनावों के लिए बंगाल से बाहर के लोगों को ला रही है। पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान पर इस तरह के आरोप लगाए थे।

हम पहले भारतीय हैं और तब बंगाली-शुभेंदु

हम पहले भारतीय हैं और तब बंगाली-शुभेंदु

शुभेंदु अधिकारी ने भाजपा की लाइन पर बोलते हुए कहा है कि 'हमारे लिए, हम पहले भारतीय हैं और तब बंगाली हैं। सतीश चंद्र समांता मिदनापुर से एक निष्ठावान सांसद थे। यहां तक कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी उनका बहुत अधिक सम्मान करते थे। ना तो कभी सतीश चंद्र समांता ने नेहरू को बाहरी कहा और ना ही नेहरू ने ही उन्हें गैर-हिंदी भाषी सांसद बताया। दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते थे।' इस मौके पर उन्होंने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ खुली चुनौती का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा- 'बंगाल में 'पार्टी के द्वारा, पार्टी के लिए' ऐसा शासन क्यों होना चाहिए? ये लोकतंत्र है। हमें भारत के संविधान के तहत ऐसे शासन लाने की जरूरत है जिसमें कहा गया है 'जनता के द्वारा, जनता का और जनता के लिए'....मैं पद का लालची नहीं हूं। मैंने अपनी पूरी जिंदगी में लोगों के लिए काम किया है।'

'मुझे बदनाम करने वालों को 2021 में मिलेगा जवाब'

'मुझे बदनाम करने वालों को 2021 में मिलेगा जवाब'

ममता बनर्जी की पार्टी के एक बड़े जनाधार वाले नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि जो लोग उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें 2021 के विधानसभा चुनाव में मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। वे बोले- 'कुछ लोग यह कहकर मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं कि मुझे पद की लालसा थी। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि उन्हें अगले विधानसभा चुनावों में मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।' यही नहीं 2007 के नंदीग्राम आंदोलन के बारे में उन्होंने कहा कि वह जनता का आंदोलन था और 'ना तो किसी राजनीतिक पार्टी को और ना ही किसी व्यक्ति को उसका फायदा उठाने की कोशिश करनी चाहिए।' बता दें कि उस आंदोलन में अधिकारी एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे थे। तथ्य यह है कि उस आंदोलन को ममता ने अपने पक्ष में खूब भुनाया, जिसने लेफ्ट फ्रंट की सरकार को उखाड़ फेंकने में भी उनकी काफी मदद की। बता दें कि पिछले कुछ महीनो से नंदीग्राम के विधायक अधिकारी खुद को पार्टी से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं और उनके कार्यक्रमों में टीएमसी का बैनर नहीं होता। इसकी जगह उनके समर्थक 'दादा के अनुगामी' का बैनर पूरे पूर्वी मिदनापुर में लगाते हैं। उन्हें मनाने में अभी तक टीएमसी के बड़े नेता सौगत रॉय और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत भूषण भी ममता के विशेष दूत बनकर उनसे मिल चुके हैं।

40-45 सीटों पर है प्रभाव

40-45 सीटों पर है प्रभाव

हालांकि, शुभेंदु अधिकारी के काफी दिनों से बीजेपी में जाने की अटकलें चल रही हैं, लेकिन उन्होंने अपना पत्ता अभी तक नहीं खोला है। हो सकता है कि वह फिलहाल अपनी विधायकी नहीं गंवाना चाह रहे हों। ऐसे में पार्टी लाइन से उलट बोलने के लिए अगर दीदी उन्हें पार्टी से निकाल देती हैं तो उनका काम शायद ज्यादा आसान हो सकता है। शुभेंदु अधिकारी खुद दो बार लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं और उनके पिता शिशिर अधिकारी तमलुक और भाई दिब्येंदु अधिकारी कांथी लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद हैं। अगर अधिकारी बंधुओं ने टीएमसी छोड़ी तो पार्टी को इसका खामियाजा भुगतने की बड़ी आशंका है। क्योंकि, इनका पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा, पुरुलिया, झारग्राम और बीरभूम के जंगलमहल के इलाके और मुस्लिम-बहुल मुर्शीदाबाद जिले अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है, 40-45 विधानसभा सीटों पर चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।

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English summary
We first Indian then Bengali-is this open challenge of Shubendra Adhikari to Mamta before leaving TMC
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