उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने शुरू करवाया मदरसा सर्वे अभियान, जानिए क्यों किया जा रहा ये
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने शुरू करवाया मदरसा सर्वे अभियान, जानिए क्यों किया जा रहा ये
लखनऊ, 13 सितंबर: उत्तर प्रदेश ने सोमवार को अपना विवादास्पद मदरसा सर्वेक्षण अभ्यास शुरू कर दिया है। मदरसा सर्वे अभियान के तहत तीन सदस्यीय सरकारी समिति ने इस्लामिक धार्मिक स्कूलों का दौरा किया और उनके वित्त पोषण के स्रोत सहित 12 पहलुओं पर जानकारी मांगी। इस सर्वे में सबसे अधिक ध्यान इस पर बात पर दिया जाएगा कि आखिर इन मदरसों को फंडिंग कहां से और कैसे की जाती है। यूपी की योगी सरकार इन मदरसों के सर्वे को लेकर चर्चा में भी है। मदरसा सर्वे अभियान की रिपोर्ट 25 अक्टूबर 2022 तक योगी सरकार को सौंपनी है।
मदरसा सर्वे अभियान में मांगी गई ये-ये जानकारी?
मदरसा संचालकों से 12 सवाल पूछे जा रहे हैं। 12 सवालों के जवाब के आधार पर ही मदरसों का सर्वे किया जा रहा है। सर्वेक्षण में मदरसा चलाने वाले संगठन के बारे में जानकारी मांगी गई है, जिस वर्ष इसे स्थापित किया गया था,चाहे वह निजी स्वामित्व वाले या किराए के भवन से संचालित हो रहा हो, यदि भवन सुरक्षित है और उसमें शुद्ध पेयजल, फर्नीचर और अन्य सुविधाएं हैं या नहीं, शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों की संख्या, पाठ्यक्रम क्या है, और क्या इन संस्थानों के छात्र पहले कुछ अन्य संस्थानों में नामांकित थे, फंडिंग कहां से आती है, जैसे सवाल मदरसा संचालकों से किए जाएंगे।
सरकार ने बताया क्यों करा रही है ये सर्वे
सरकार ने कहा है कि मदरसा सर्वे अभियान का मकसद छात्रों को आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सुनिश्चित करने के लिए आंकड़े जुटाना है। वहीं अवैध गतिविधियों में लिप्त सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सोमवार को कहा, हम सभी का सहयोग चाहते हैं, सभी का कल्याण चाहते हैं। लेकिन साथ ही किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।''
'सरकार हमारी वित्त पोषण के स्रोत के बारे में क्यों जानना चाहती है...?'
सहारनपुर जिले के एक मदरसा शिक्षक ने कहा, "वे (सरकार) हमारे वित्त पोषण के स्रोत को क्यों जानना चाहते हैं? हम लोगों से पैसे लेत हैं, सरकार से कुछ भी नहीं लेते हैं और फिर भी, वे फंडिंग के बारे में क्यों जानना चाहते हैं। बता दें कि सहारनपुर में प्रमुख इस्लामिक मदरसा दारुल-उलूम देवबंद स्थित है। जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद की ओर से 24 सितंबर को देवबंद में मदरसा मालिकों की एक बैठक बुलाई गई है ताकि अगले कदम पर फैसला लिया जा सके।
'इससे किसी प्रकार के पूर्वाग्रह की बू आती है...'
एक अन्य मदरसा मालिक ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए पूछा, ''दो बातें हो सकती हैं, जिससे किसी प्रकार के पूर्वाग्रह की बू आती है, अगर बेईमानी से नहीं। सर्वेक्षक चाहते हैं कि हम अपनी आय के स्रोत का खुलासा करें और क्या मदरसा किसी गैर सरकारी संगठन से संबद्ध था? आय का स्रोत क्यों महत्वपूर्ण है और यह कैसे मायने रखता है कि मदरसा किस एनजीओ से संबद्ध है, जब तक कि सरकार को कोई अवैध गतिविधि नहीं मिलती है।''
5 अक्टूबर तक सरकार को सौंपनी है मदरसा सर्वे की रिपोर्ट
सत्तारूढ़ दल भाजपा ने अपनी अल्पसंख्यक शाखा को मदरसा मालिकों तक पहुंचने और इस तरह की चिंताओं को दूर करने का काम सौंपा है। पहली आउटरीच पहल बिजनौर में हो चुकी है और दूसरी की योजना लखनऊ में बनाई जा रही है। 5 अक्टूबर तक मदरसा सर्वे टीमों को जिला प्रशासन के अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपनी है, जो 10-15 अक्टूबर तक उन्हें जिलाधिकारियों को प्रस्तुत करेंगे। जिसके बाद 25 अक्टूबर तक राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे जाएंगे।
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