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क्या CJI आएंगे RTI के दायरे में? क्या होगा कर्नाटक के 17 अयोग्य विधायकों का, SC का अहम फैसला आज

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज कई अहम मामलों पर अपना फैसला सुना सकती है। जिसमे सीजेआई ऑफिस के RTI के तहत आने, कर्नाटक के 17 अयोग्य विधायकों का मामला और फाइनेंस एक्ट 2017 की वैद्यता अहम हैं। दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को आरटीआई के तहत लाने का फैसला सुनाया था । कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना अहम फैसला सुना सकता है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ अपना फैसला सुनाएगी, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे हैं। माना जा रहा है कि कोर्ट इस मामले पर अपना फैसला दोपहर दो बजे सुना सकती है। पांच जजों की बेंच में जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एनवी रमना, डीवाई चंद्रचूड़, दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना शामिल हैं। बता दें कि इससे पहले इस मसले में फैसला सुनाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर मंगलवार दोपहर को जानकारी दी थी।

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कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था

सुप्रीम कोर्ट दो अन्य अहम मामलों पर भी अपन फैसला सुना सकती है। जिसमे कर्नाटक के 17 विधायकों निलंबन और फाइनेंस एक्ट 2017 की संवैधानिक वैद्यता पर कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है। चार अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल और इसके सेंट्रल पब्लिक इंफॉर्मेशन अधिकारी व सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमिशन ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2010 में याचिका दायर की थी। जिसपर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हाई कोर्ट ने सुनाया था फैसला

10 जनवरी 2010 को दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि सीजेआई का ऑफिस आरटीआई के दायरे में आता है, न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि जजों को भी यह अधिकार प्राप्त है, बल्कि उनपर और अधिक जिम्मेदारी है। दरअसल उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्ययाधीश जस्टिस केजी बालकृष्णन ने एक आरटीआई का जवाब देने से इनकार कर दिया था।
बता दें कि हाई कोर्ट का यह फैसला तीन जजों की बेंच ने सुनाया था, जिसमे चीफ जस्टिस एपी शाह, जस्टिस विक्रमजीत सेन, जस्टिस एस मुरलीधर शामिल थे। बेंच ने सु्प्रीम कोर्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमे कहा गया था कि अगर मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई के दायरे में लाया जाता है तो न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में आ जाएगी। बता दें कि जस्टिस सेन सुप्रीम कोर्ट के जज बनने के बाद रिटायर हो गए, जबकि जस्टिस मुरलीधर अभी भी हाई कोर्ट के जज हैं।

कर्नाटक के विधायकों पर भी फैसला

गौरतलब है कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के 17 अयोग्य विधायकों के मसले पर दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि इन विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद कुमारस्वामी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया था। जिसके बाद भाजपा ने प्रदेश में सरकार बनाई और बीएस येदियुरप्पा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अयोग्य विधायकों में से कुछ विधायकों ने सु्पीम कोर्ट को बताया है कि उनके पास स्वेच्छा से इस्तीफा देने का अधिकार है, ऐसे में स्पीकार द्वारा हमे अयोग्य किया जाना गलत है।

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English summary
Two big verdict of supreme court CJI office under RTI and disqualification of 17 Karnataka MLA.
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