India-China faceoff: डोकलाम संकट के बाद से ही हर शर्त को तोड़ रहा है चीन, भरोसा करना बहुत मुश्किल
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में लगता है कि चीन आसानी से पीछे नहीं हटेगा। वह अपने उसी अड़ियल रवैये पर कायम है और सोमवार को छठें दौर की कोर कमांडर वार्ता के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। सूत्रों की मानें तो वार्ता के दौरान चीन पर भरोसा करना एक बड़ा सवाल बन चुका है। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक भारत अब इस स्थिति को स्पष्ट कर चुका है कि द्विपक्षीय वार्ता के दौरान टकराव की हर लोकेशन पर बातचीत करने की जरूरत है।
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डोकलाम के बाद से नहीं माना कोई प्रोटोकॉल
सूत्रों के हवाले से अखबार ने लिखा है कि चीन ने साल 2017 में डोकलाम विवाद के बाद से ही हर प्रोटोकॉल को तोड़ना शुरू कर दिया था। एक सीनियर ऑफिसर के हवाले से अखबार ने बताया है कि भारत एलएसी पर अप्रैल वाली यथास्थिति में बहाली चाहता है। वहीं, भारतीय सूत्रों की मानें तो चीन पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) एक आक्रामक सेना है और यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि चीन इस तनाव को धीरे से बढ़ाएगा। 21 सितंबर को हुई छठें दौर की कोर कमांडर वार्ता के दौरान चीन की तरफ कहा गया था कि वह तब तक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर डिसइंगेजमेंट पर कोई चर्चा नहीं करेगा जब तक कि भारत चोटियों को नहीं खाली करता है। दोनों देशों के बीच इस समय एलएसी पर युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। इस वर्ष अप्रैल से ही पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की तरफ से भारतीय सेना को भड़काने वाली कार्रवाई की जा रही है। पीएलए के जवान इस बात पर अड़े हैं कि जब तक इंडियन आर्मी पैंगोंग त्सो के दक्षिणी हिस्से से नहीं जाएगी, मसला नहीं सुलझेगा। भारतीय सेना इस समय रणनीतिक तौर पर चीन के खिलाफ काफी मजबूत स्थिति में आ गई है।
देपसांग भी भारत के एजेंडे में
मई माह से ही चीन ने पूर्वी लद्दाख की कुछ जगहों पर गैर-कानूनी तरीके से कब्जा किया हुआ है। अब चीन, भारत से यह मांग कर रहा है कि वह पैंगोंग त्सो के दक्षिणी हिस्से में स्थित अहम रणनीतिक चोटियों को खाली कर दे। कोर कमांडर वार्ता के दौरान चीन का सारा ध्यान पैंगोंग त्सो के दक्षिणी हिस्से पर है। जबकि भारत टकराव के हर बिंदु पर चर्चा करना चाहता है। एक आफिसर के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि चीन बस दक्षिणी पैंगोंग त्सो पर ही बातचीत पर अड़ा है। भारत का ध्यान पूर्वी लद्दाख के हर हिस्से पर है और देपसांग से लेकर टकराव के हर इलाके पर चर्चा पर जोर दिया जा रहा है। देपसांग में चीन की सेना ने चार पेट्रोलिंग प्वाइंट पर अड़ंगा डाला हुआ है। यहां पर जो समस्या है वह मई माह के पहले से जारी है।