प्याज के दाम 500 रुपए प्रति किलो हो जाएं तो भी इस गांव के लोगों को फर्क नहीं पड़ता
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नई दिल्ली। देशभर में प्याज की कीमतें सातवें आसमान पर हैं, हर कोई प्याज की कीमतों को लेकर परेशान है। यहां तक कि प्याज की कीमतों को कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है और इसके निर्यात पर भी पाबंदी लगा दी है। मौजूदा समय में प्याज की कीमतों की बात करें तो यह 70 से 100 रुपए प्रति किलो के भाव से बाजार में बिक रही है। बिहार में भी प्याज की कीमतें 70-80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। बिहार में प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से बिहार स्टेट कॉर्पोरेटिव मार्केंटिंग असोसिएशन प्याज की सप्लाई 35 रुपए प्रति किलो के भाव से कर रही है, जिसके चलते बिहार की राजधानी पटना में लोगों को प्याज की कीमतों से कुछ हद तक राहत मिली है।
गांव में कोई नहीं खाता प्याज
लेकिन इन सब के बीच बिहार के एक गांव में प्याज के बढ़ते दामों की वजह से लोगों कोई मुश्किल नहीं है यहां तक इन लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि प्याज के दाम 100 रुपए किलो हैं या 500 रुपए प्रति किलो। बिहार के जहानाबाद जिले के चिरी पंचायत के त्रिलोकी बीघा गांव जोकि पटना से 80 किलोमीटर दूर है, यहां लोगों को प्याज के बढ़ते दामों का कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस गांव में कुल 35 परिवार हैं और गांव की कुल आबादी तकरीबन 300-400 है।
पूरा गांव शाकाहारी
इस गांव के लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि प्याज के दाम देश में मौजूदा समय में क्या हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि इस गांव में रहने वाले लोग प्याज नहीं खाते हैं। पूरे गांव में कोई भी व्यक्ति प्याज नहीं खाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस गांव में हर व्यक्ति शाकाहारी है और ये लोग प्याज व लहसुन नहीं खाते हैं, यहां तक गांव में कोई भी व्यक्ति शराब को हाथ तक नहीं लगाता है। गांव के बुजुर्ग लोगों का कहना है कि गांव के किसी भी व्यक्ति ने सदियों से प्याज और लहसुन को छुआ तक नहीं है।
सदियों से प्याज लहसुन नहीं छुआ
गांव के निवासी रामप्रवेश यादव ने बताया कि गांव के लोगों ने प्याज को छूना सदियों पहले ही बंद कर दिया था क्योंकि यहां पर भगवान विष्णु का मंदिर है। यहां तक कि आज भी गांव के लोग इस परंपरा का पूरी गंभीरता से पालन करते हैं। यादव ने बताया कि उन्हें पता भी नहीं है कि प्याज के दाम क्या हैं। उनका दावा है कि जिस किसी ने इस गांव में पहले कभी प्याज खाया है उनका एक्सिडेंट हो गया, जिसके बाद गांव के लोगों ने फैसला लिया कि वह कभी भी प्याज नहीं खाएंगे। यही नहीं रामप्रवेश का कहना है कि इस गांव का कोई भी व्यक्ति जब गांव से बाहर जाता है तो वह कोशिश करता है कि ऐसी जगह पर खाना खाए जहां पर प्याज व लहसुन का इस्तेमाल नहीं होता है।