दुनिया जानती है कि कैसे चीन सभी देशों के लिए चुनौतियां खड़ी कर रहा है: ब्रिटिश उच्चायुक्त
नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा विवाद के बीच भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर फिलिप बार्टन ने जारी एक बयान में चीन और भारत के विशेष प्रतिनिधियों के वार्ता के दौरान सहमतियों और वादों का स्वागत किया है। उन्होंने कहा यह उत्साहजनक है और डी-एस्केलेशन तनाव कम होता दिख रहा है।
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चीन ने न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए खड़ी की हैं
उन्होंने आगे कहा, हम उन चुनौतियों के बारे में स्पष्ट हैं, जो चीन ने न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए खड़ी की हैं, लेकिन हम चीन के साथ काम करना चाहते हैं। हांगकांग संयुक्त घोषणा का एक गंभीर उल्लंघन था। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर पर भी हमारे स्पष्ट विचार हैं।
लद्दाख में एलएसी पर करीब दो महीने से टकराव के हालात बने हुए हैं
भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख में एलएसी पर करीब दो महीने से टकराव के हालात बने हुए हैं। हालांकि गत 6 जून को दोनों सेनाओं में पीछे हटने पर सहमति बन गई थी, लेकिन चीन उसका क्रियान्वयन नहीं कर रहा है।
15 जून को दोनों सेनाओं के बीच खूनी झड़प भी हो चुकी है
यही कारण था कि गत 15 जून को दोनों सेनाओं के बीच खूनी झड़प भी हो चुकी है, जिसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बात हुई है और गत 22 जून को सैन्य कमांडरों ने भी मैराथन बैठक के बाद सहमति को बनती है, लेकिन चीन ईमानदारी से सहमति पर क्रियान्वयन करता नहीं दिखाई देता है।
वर्ष 2017 में भारतीय सैनिकों ने विवादित क्षेत्र डोकलाम में चीन को रोका था
वर्ष 2017 में भारतीय सैनिकों ने भूटान और चीन के बीच विवादित क्षेत्र डोकलाम में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को उस क्षेत्र में सड़क बनाने से रोका था, जो भारत के सामरिक हितों को प्रभावित कर सकता था और भारत ने थिम्पू के दावे का ऐतिहासिक समर्थन किया था।
आपको यूके में विरोध करने का अधिकार है, लेकिन इसकी सीमा तय है
उन्होंने भारत सरकार द्वारा सिख्स फॉर जस्टिस' (एसएफजे) को एक गैरकानूनी संगठन करार देने और उसकी 40 वेबसाइट ब्लॉक करने आदेश पर ब्रिटेन में आंदोलनरत एसएफजे समर्थकों से कहा है, आपको यूके में विरोध करने का अधिकार है, लेकिन इसकी सीमा तय है। कानून तोड़ना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एसएफजे पर आरोप है कि उसने खतरनाक मंसूबे के लिए समर्थकों का पंजीकरण करने को लेकर एक अभियान शुरू किया था।
ब्रिटिश उच्चायुक्त ने कहा कि ब्रिटेन कभी भी शरणार्थियों मामलों पर टिप्पणी नहीं करता हैं
वहीं, शरणार्थियों के मसले पर बयान देते हुए ब्रिटिश उच्चायुक्त ने कहा कि ब्रिटेन कभी भी शरणार्थियों मामलों पर टिप्पणी नहीं करता हैं और मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर सकता। ब्रिटेन सरकार और हमारी अदालतें लोगों को न्याय से दूर रहने से रोकने में अपनी भूमिकाओं में बिल्कुल स्पष्ट हैं।