सोशल डिस्टेंसिंग हवा के जरिए फैलने वाले कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय- CSIR
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) किए गए अपनी तरह के पहले अध्ययन में यह दावा किया गया है कि हवा में कोरोना वायरस से संक्रमित होना एक कमरे में कोविड-पॉजिटिव व्यक्तियों की संख्या पर निर्भर करता है।
नई दिल्ली, 3 जुलाई। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) किए गए अपनी तरह के पहले अध्ययन में यह दावा किया गया है कि हवा में कोरोना वायरस से संक्रमित होना एक कमरे में कोविड-पॉजिटिव व्यक्तियों की संख्या पर निर्भर करता है, क्योंकि कोविड की बूंदें बंद स्थानों में दूर तक जा सकती हैं।
अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों के बाद, जिनमें कहा गया है कि कोरोना हवा के जरिए भी फैलता है, ताजा साक्ष्य बताते हैं कि कोरोना वायरस हवा में एरोसोल (संक्रमित मरीज के नाक और मुंह से निकलीं छोटी बूंदें।) के माध्यम से 10 मीटर तक की यात्रा कर सकता है। यह साक्ष्य सबसे पहले भारत में सीएसआईआर के वैज्ञानिकों द्वारा एकत्र किया गया था।
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medRxiv
ऑनलाइन
संग्रह
में
छपी
थी
रिसर्च
सीएसआईआर
की
यह
रिसर्च
ऑनलाइन
आर्काइव
medRxiv
में
छपी
थी,
हलांकि
अभी
तक
इसका
पीयर
रिव्यू
नहीं
हो
सका
है।
रिसर्चरों
ने
कोरोना
के
हवा
में
फैलने
की
विशेषताओं
को
समझने
और
अस्पताल
आने
वाले
मरीजों
से
स्वास्थ्य
कर्मियों
पर
इसका
प्रभाव
जानने
के
लिए
यह
अध्ययन
किया
था।
अध्ययन के अनुसार हवा के माध्यम से कोरोना का फैलना इस बात पर निर्भर करता है कि कमरे में कितनी संख्या में कोरोना से संक्रमित लोग मौजूद हैं, उनकी रोगसूचक स्थिति और जोखिम की अवधि और अस्पताल के क्षेत्रों को कोविड और गैर कोविड क्षेत्रों में बांटकर संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। अध्ययन के अनुसार सामान्य पर्यावरण परिस्थितियों में वायरस रोगियों से ज्यादा दूर तक नहीं फैलता है, विशेषत: तब जब मरीज में लक्षण दिखाई न दे रहे हों। इस अध्ययन से यह कह सकतें कि सोशल डिस्टेंसिंग कोरोना को फैलने से रोकने में बेहद असरकारक है।
वहीं इस अध्ययन ने इस बहस को भी जन्म दे दिया कि क्या घर के अंदर संक्रमण को खिड़की दरवाजे खुले रखकर और हवा के बेहतर प्रवाह से कोरोना के खतरे को कम किया जा सकता है? इस पर सीएसआईआर के निदेशक डॉ. शेखर सी मान्डे ने कहा कि हवा के बेहतर प्रवाह से कोरना ही नहीं हवा के जरिए फैलने वाले अन्य संक्रमणों को भी कम किया जा सकता है।