तो क्या अब 'रिहा' हो पाएंगी संजयलीला भंसाली की पद्मावती?
चुनावी नतीजों के बाद क्या सिनेमाघर के पर्दों तक पहुंच पाएगी भंसाली की फिल्म पद्मावती...
'पद्मावती' फ़िल्म पर छिड़ी जो बहस चुनावी शोर में थम गई थी, नतीजों के आने के बाद फिर शुरू हो गई है.
18 दिसंबर को जब देश चुनावी नतीजों को देख रहा था, तब राज्यसभा में पद्मावती फिल्म की रिलीज से जुड़े सवाल पर सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने जवाब दिया.
राठौड़ ने अपने जवाब में कहा, ''केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने अब तक देश में फिल्म पद्मावती को देश में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए प्रमाणपत्र नहीं दिया है.
- पद्मावती के 3डी वर्ज़न का सर्टिफ़िकेट संबंधी आवेदन 28 नवंबर को सीबीएफसी के सामने पेश किया गया था. अगर फिल्म में दर्शाए गए विषयों पर विशेषज्ञों की राय अपेक्षित होगी तो सीबीएफसी के अध्यक्ष अतिरिक्त समय सीमा के संबंध में फ़ैसला करेंगे. नियमों के अंतर्गत 68 दिन की समय सीमा तय की गई है.''
तो क्या अब रिलीज़ हो जाएगी फ़िल्म?
'पद्मावती' फिल्म को राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में बैन किया गया है.
कुछ लोगों ने पद्मावती को रिलीज़ न किए जाने की एक बड़ी वजह चुनाव को भी माना था.
चुनाव से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने फिल्म को राज्य में बैन करते हुए कहा था कि जब तक फिल्म से विवादास्पद दृश्य नहीं हटाए जाएंगे, फिल्म रिलीज़ नहीं होगी.
रुपानी ने कहा था, 'राज्य में अगले महीने चुनाव होने वाले हैं और वे नहीं चाहते हैं कि फिल्म रिलीज़ हो और इससे किसी की भावना आहत हो. इससे चुनाव के दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है.'
वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पद्मावती को 'राष्ट्रमाता' कहकर संबोधित किया था.
उन्होंने कहा कि उनके सम्मान के ख़िलाफ़ बात करने वाली कोई फ़िल्म राज्य में रिलीज़ नहीं होगी. वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी एक टीवी इंटरव्यू के दौरान फिल्म में इतिहास से छेड़छाड़ की बात कही थी.
करणी सेना ने क्या कहा?
इस बारे में जब हमने फिल्म का विरोध कर रहे करणी सेना के राष्ट्रीय संयोजक शक्ति सिंह से बात की तो उन्होंने कहा, ''हमारे विरोध का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है.
- हमारा विरोध इसलिए है क्योंकि इतिहास से छेड़छाड़ की गई है. फ़िल्म निर्माता अभी तक ये भी नहीं बता पा रहे हैं कि ये ऐतिहासिक फ़िल्म है या काल्पनिक. जब तक वो विवादास्पद चीजों को ठीक नहीं करेंगे फ़िल्म का विरोध जारी रहेगा.
- इतिहास से ऊपर उठकर कहें तो वे हमारे लिए देवी मां हैं. जौहर स्थल पर हर साल मेला लगता है, लोग वहां जाकर सिर झुकाते हैं. चाहे हिंदू हों या मुस्लिम दोनों ही उन्हें समान रूप से पूजते हैं.''
- ब्लॉग: गर अकबर के ज़माने में करणी सेना होती...
- 'पद्मावती को खिलजी की प्रेमिका बताना बर्दाश्त से बाहर'
शक्ति सिंह ने बताया, ''चित्तौढ़ में शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन जौहर स्थल पर माथा टेकने जाते हैं. यहां मुंडन करावाया जाता है. वो हमारी देवी मां हैं, उन्हें इस तरह दिखाने की कोशिश की जाएगी तो ये सहन नहीं किया जाएगा.''
फिल्म पद्मावती की पीआर कंपनी से जब हमनें संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि अभी तक सेंसर बोर्ड की ओर से उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म देखी है या नहीं. जैसे ही उन्हें सेंसर बोर्ड की ओर से कोई सूचना मिलेगी वो इसकी सार्वजनिक घोषणा करेंगे.
इस मामले में हमने सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
क्या है पूरा विवाद?
'पद्मावती' का सारा विवाद रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के प्रसंगों को लेकर है.
राजस्थान के करणी सेना सहित कुछ और संगठनों का आरोप है कि भंसाली खिलजी के साथ रानी पद्मावती के प्रेम संबंधों पर फिल्म बनाकर राजपूतों की भावना को चोट पहुंचा रहे हैं.
इससे पहले सेंसर बोर्ड ने पद्मावती फ़िल्म को निर्माताओं के पास वापस लौटा दिया था, जिससे इसकी रिलीज़ में देरी की संभावना पैदा हो गई थी.
फ़िल्म को लौटाने के पीछे बोर्ड ने आवेदन में तकनीकी खामियों को ज़िम्मेदार ठहराया था.
कौन है 'पद्मावती' का विरोध कर रही करणी सेना?