उद्धव ठाकरे के सीएम बनते ही शिवसेना ने साधा भाजपा पर निशाना, कहा- 'भगवा ध्वज से दुश्मनी.....'
मुंबई। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अब महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। राज्य में महा विकास अघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी गठबंधन) की सरकार बनी है। उद्धव के सीएम की कुर्सी संभालते ही शिवसेना ने भाजपा पर निशाना साधा है। सामना ने शुक्रवार को अपने संपादकीय में लिखा है कि महाराष्ट्र अब कतार में नहीं खड़ा रहेगा बल्कि आगे रहकर ही काम करेगा।
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इसमें लिखा है, 'महाराष्ट्र दिल्ली के दरबार में चौथी-पांचवीं कतार में खड़ा नहीं रहेगा बल्कि आगे रहकर ही काम करेगा, परंपरा यही रही है। इसी परंपरा का भगवा ध्वज महाराष्ट्र के विधानसभा और मंत्रालय पर लगराया है। भगवा ध्वज से दुश्मनी मत लो, दुश्मनी करोगे तो खुद का ही नुकसान करोगे। अब महाराष्ट्र में सुराज्य का उत्सव शुरू हो गया है, देखते क्या हो? शामिल हो!'
महाराष्ट्र दिल्लीश्वरों का गुलाम नहीं
सामना में लिखा है कि दिल्ली भले ही देश की राजधानी हो लेकिन महाराष्ट्र दिल्लीश्वरों का गुलाम नहीं है। ये तेवर दिखाने वाले उद्धव ठाकरे आज राज्य के मुख्यमंत्री पद पर विराजमाव हैं। इसलिए अब महाराष्ट्र का तेवर और सरकार का सीना तना रहेगा, ऐसा विश्वास करने में कोई दिक्कत नहीं है।
अर्थव्यवस्था मुंबई के भरोसे चल रही है
दिल्ली को सबसे ज्यादा पैसे महाराष्ट्र देता है, देश की अर्थव्यवस्था मुंबई के भरोसे चल रही है। सबसे ज्यादा रोजगार मुंबई जैसा शहर ही देता है। देश की सीमा पर महाराष्ट्र के जवान शहीद हो रहे हैं। देश की सीमा की रक्षा तो महाराष्ट्र की परंपरा रही है। इसलिए अब महाराष्ट्र से अन्याय नहीं होगा और उसका सम्मान किया जाएगा, इसका ध्यान नए मुख्यमंत्री को रखना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना
सामना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए लिखा है कि बेशक भाजपा और शिवसेना में अनबन है लेकिन लेकिन नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे का रिश्ता भाई-भाई का है। प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं, इसे स्वीकार करें तो जो हमारे विचारों के नहीं हैं, उनके लिए सरकार अपने मन में राग-लोभ क्यों रखे? संघर्ष और लड़ाई हमारे जीवन का हिस्सा हैं।
महाराष्ट्र के सियासी नाटक का अंत
बता दें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के सियासी नाटक का अंत हो गया। यहां शनिवार को अचानक भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी। लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत साबित करने का आदेश दिया तो उन्होंने नंबरों की कमी का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। साथ ही उपमुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले एनसीपी नेता अजित पवार ने भी इस्तीफा दे दिया था।
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मेकअप
करते
हुए
इस
लड़की
ने
ऐसा
क्या
कहा
दिया,
चीन
ने
तुरंत
किया
बैन