अमेरिकी नौसेना अभ्यास पर थरूर की सलाह-इसे कूटनीतिक तौर पर हल किया जाए
नई दिल्ली, अप्रैल 14: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि, अमेरिकी नौसेना की सातवीं फ्लीट ने कुछ दिन पहले भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में ऑपरेशन करके इंटरनेशनल कानून का उल्लंघन नहीं किया है। लेकिन यह घटना भारत का अनादर करती है। जिसे कूटनीतिक रूप से हल किया जाना चाहिए। बता दें कि, अमेरिकी नौसेना ने भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन में एक ऑपरेशन किया था, जिस पर भारत ने आपत्ति दर्ज करायी थी।
कांग्रेस नेता शशि थरूर मे बुधवार को एक के बाद एक कई ट्वीट कर इस मामले पर अपनी राय रखी। शशि थरूर ने लिखा कि, लक्षद्वीप के पास अमेरिका के सातवें बेड़े के अभ्यास पर भारत का गुस्सा जायज है। क्योंकि यह भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में आता है। हालांकि, यूएनसीएलओएस (सागर का कानून) में ऐसा कुछ भी नहीं है जो ईईजेड के माध्यम से नेविगेशन की स्वतंत्रता पर भारत के रुख का समर्थन करता है।
थरूर ने आगे लिखा कि, इसलिए अमेरिकी लक्षद्वीप के पास वही कर रहे हैं, जो वे दक्षिण चीन सागर में नेविगेशन फ्रीडम सिद्धांत (FoNoPs) के तहत कर रहे हैं। इसलिए अमेरिका पर आरोप लगाया जा सकता है कि वह हमारी संवेदनाओं का सम्मान नहीं कर रहा है। लेकिन उन पर इंटरनेशनल कानून तोड़ने का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। कुछ लोग पूछते हैं कि अमेरिका ने भारत के साथ ऐसा क्यों किया है, उसने कनाडा / यूके / ऑस्ट्रेलिया आदि के साथ उनके विशेष आर्थिक क्षेत्र में अभ्यास क्यों नहीं किया है।
उन्होंने बताया कि, चूंकि ये सभी देश अमेरिका के संधि सहयोगी हैं, इसलिए उनके पास अमेरिका के साथ पहले से ही परामर्श समझौते हैं। जबकि भारत के साथ ऐसा कुछ नहीं हैं, और ना ही भारत उनका सहयोगी बन सकता है। उन्होंने कहा कि, इसलिए हम जो सबसे अच्छे कदम की उम्मीद कर सकते थे वह हैं (1) भारत को शिष्टाचार के रूप में अग्रिम रूप से सूचित करना (2) इस घटना को प्रचारित ना करके अपनी नाक घुसाने से बचना चाहिए था। हमें एक कानूनी उल्लंघन के बारे में अपमानजनक राजनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता नहीं है। इसे कूटनीतिक रूप से संबोधित किया जाना चाहिए।
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