मल्लिकार्जुन खड़गे के समर्थन में आए अशोक गहलोत, कहा- शशि थरूर तो कुलीन वर्ग से हैं
नई दिल्ली, अक्टूबर 02। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर ने नॉमिनेशन फाइल कर दिया है और अब दोनों नेता चुनाव में अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। हालांकि पलड़ा खड़गे का भारी नजर आ रहा है। इस बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री और कुछ दिन पहले तक खुद अध्यक्ष बनने की रेस में शामिल रहे अशोक गहलोत इस चुनाव में खड़गे का समर्थन कर रहे हैं। रविवार को उन्होंने खड़गे का समर्थन करते हुए कहा कि शशि थरूर 'कुलीन वर्ग' के हैं।
क्या कहा है अशोक गहलोत ने?
आपको बता दें कि पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए नेता इस बात पर बंटे हुए नजर आ रहे हैं कि इस चुनाव में किसे समर्थन दिया जाए। ऐसे में अशोक गहलोत खुलकर खड़गे के समर्थन में आ रहे हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के पास कांग्रेस को मजबूत करने का अनुभव है और वह पार्टी के अध्यक्ष चुनाव में विजेता बनकर उभरेंगे। आपको बता दें कि खड़गे के पास गहलोत समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का साथ है। उन्होंने जब शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया था तो उनके साथ पार्टी के लगभग 30 वरिष्ठ नेता मौजूद थे। इनमें अशोक गहलोत भी शामिल थे।
गांधी परिवार के विश्वसनीय हैं खड़गे
आपको बता दें कि इन 30 नेताओं के अलावा मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार का भी समर्थन मिला हुआ है। कहा जा रहा है कि खड़गे सोनिया गांधी और राहुल गांधी के विश्वसनीय हैं और वो अध्यक्ष पद के लिए सभी की पसंद के रूप में उभर रहे हैं। अशोक गहलोत ने रविवार को महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा, "खड़गे के पास एक लंबा राजनीतिक अनुभव है। उनका दिल साफ है, वह दलित समुदाय से आते हैं और हर जगह उनका भव्य स्वागत भी किया जा रहा है।"
पार्टी को जिस अनुभव की तलाश, वो सिर्फ खड़गे के पास
गहलोत ने आगे कहा कि इस वक्त पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए जिस अनुभव की जरूरत है, वो खड़गे के पास है, इसलिए स्वाभाविक रूप से यह एकतरफा मुकाबला भी हो सकता है। गहलोत ने कहा, "थरूर कुलीन वर्ग से हैं, लेकिन बूथ, ब्लॉक और जिला स्तर पर पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए जिस अनुभव की तलाश है, वो सिर्फ खड़गे के पास है। आपको बता दें कि खड़गे से पहले खुद अशोक गहलोत अध्यक्ष पद की रेस में शामिल थे, लेकिन राजस्थान में आए सियासी संकट की वजह से गहलोत की दावेदारी खत्म हो गई।
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