एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के बयान से सीरम इंस्टीट्यूट ने किया किनारा, वैक्सीनेशन पर की थी सरकार की आलोचना
पुणे, 23 मई। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर सरकार की आलोचना वाले बयान के सुर्खियों में आने के बाद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने सफाई देते हुए खुद को इससे अलग कर लिया है। कंपनी ने कहा है कि सीईओ अदार पूनावाला ही कंपनी के एकमात्र आधिकारिक प्रवक्ता हैं और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर का बयान कंपनी का बयान नहीं है।
कार्यकारी निदेशक ने की थी आलोचना
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने एक ऑनलाइन स्वास्थ्य सम्मेलन में कहा था सरकार ने बिना वैक्सीन की उपलब्धता की जांच किए ही विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए वैक्सीनेशन शुरू कर दिया। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार ने डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन का भी ख्याल नहीं किया था।
भारत में सरकार ने जिन दो वैक्सीन के साथ टीकाकरण शुरू किया था सीरम इंस्टीट्यूट उनमें से एक है। जाहिर है कंपनी के कार्यकारी निदेशक का बयान सुर्खियों में बनना था। बयान पर तेजी से चर्चा के बाद कंपनी ने इसे लेकर अपनी सफाई जारी कर दी है जिसमें कहा गया है कि यह कंपनी का नजरिया नहीं है।
कंपनी ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा पत्र
पीटीआई ने बताया है कि सीरम इंस्टीट्यूट के प्रशासनिक और नियामक मामलों के निदेश प्रकाश कुमार सिंह ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है "हमारे सीईओ अदार सी पूनावाला की ओर से मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि यह बयान सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से जारी नहीं किया गया है और कंपनी इस बयान से खुद को पूरी तरह से अलग करती है। यह दोहराया जाता है कि यह कंपनी का विचार बिल्कुल नहीं है।"
इसमें यह भी कहा गया है कि अदार पूनावाला ही कंपनी के एकमात्र आधिकारिक प्रवक्ता हैं। पत्र में कहा गया है "सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सरकार को मजबूती देने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।"
क्या कहा था जाधव ने?
कंपनी के कार्यकारी निदेश सुरेश जाधव ने कहा था कि सरकार ने अच्छी तरह से जानते हुए भी कि पर्याप्त स्टॉक नहीं था, टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया। उन्होंने कहा था कि प्रारंभ में 30 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाना था जिसके लिए 60 करोड़ डोज की आवश्यकता थी, लेकिन उस लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही गैर-प्राथमिकता वाले समूहों में शामिल 45 वर्ष से ऊपर के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया और फिर से 18 साल के ऊपर वालों के लिए कर दिया गया।
उन्होंने आगे कहा था कि "यह सबसे बड़ा सबक है जो हमने सीखा। हमें उत्पाद की उपलब्धता को ध्यान में रखना चाहिए और फिर इसका विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए।"