पाकिस्तान की कैद से छूटकर आया सिपाही अब चाहता है भारतीय सेना से आजादी, जानें क्यों!
सर्जिकल स्ट्राइक में गलती से लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पार करके पाकिस्तान पहुंचने और फिर पाकिस्तान की कैद में रहने वाले इंडियन आर्मी के जवान चंदू चव्हाण ने अब सेना छोड़ने की इच्छा जताई है। चंदू भारतीय सेना में सिपाही के पद पर तैनात हैं।
पुणे। सर्जिकल स्ट्राइक में गलती से लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पार करके पाकिस्तान पहुंचने और फिर पाकिस्तान की कैद में रहने वाले इंडियन आर्मी के जवान चंदू चव्हाण ने अब सेना छोड़ने की इच्छा जताई है। चंदू भारतीय सेना में सिपाही के पद पर तैनात हैं। पाक की कैद से छूटकर आने के करीब डेढ़ वर्ष बाद सिपाही चंदू ने यह ख्वाहिश जताई है। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की ओर से यह जानकारी दी गई है। फिलहाल चंदू पुणे के खिड़की स्थित मिलिट्री हॉस्पिटल में हैं और यहां पर उनका इलाज चल रहा है।
29 सितंबर को हुई थी सर्जिकल स्ट्राइक
चंदू ने अपने सीनियर्स को चिट्ठी लिखी है और इस चिट्ठी में उन्होंने उनकी ड्यूटीज से रिटायर होने की बात कही है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने कई सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। चंदू इस समय मिलिट्री हॉस्पिटल के साइकेट्री वॉर्ड में भर्ती हैं। 29 सितंबर 2016 को जो सर्जिकल स्ट्राइक हुई, उसमें 24 वर्षीय चंदू एलओसी के पार चले गए थे। भारत की ओर सेउरी आतंकी हमले का जवाब देने के मकसद से यह सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। उरी में आर्मी कैंप पर हुए हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के 11 दिन बाद भारत की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी।
चार माह तक पाक की कैद में थे चंदू
चंदू को पाकिस्तान ने अपनी कैद में रखा था। करीब चार माह बाद बड़े प्रयासों से चंदू को से रिहा करवाया जा सका था। भारत वापस आने के बाद चव्हाण को कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का सामना करना पड़ा। इसके अलावा उन्हें सीनियर्स को बताए बिना हथियारों के साथ कैंप छोड़ने के लिए सजा का सामना भी करना पड़ा है। इसके बाद चंदू को अहमदनगर स्थित आर्मर्ड कोर सेंटर एंड स्कूल भेजा गया था। तीन हफ्ते पहले चव्हाण को उनकी यूनिट के मिलिट्री हॉस्पिटल भेजा गया। हॉस्पिटल भेजने की वजहों के बारे में बताया गया कि उनके बर्ताव में कुछ समस्या थी और उन्हें ऑब्जर्वेशन के लिए भेजा गया है।
20 दिन से अस्पताल में हैं चंदू
हॉस्पिटल से ही चंदू ने रिटायरमेंट की इच्छा जताने वाली चिट्टी लिखी है। उन्होंने अपने सीनियर्स कहा है कि वे चंदू को उनकी ड्यूटीज से डिस्चार्ज कर दें। चंदू के मुताबिक, 'मैं पिछले 20 दिनों से मिलिट्री हॉस्पिटल के मनोविज्ञान वार्ड में हूं। तीन दिन पहले मैंने अपने सीनियर्स को चिट्ठी लिखी है कि मुझे मेरी ड्यूटीज से आजाद कर दिया जाए क्योंकि यह मेरे साथ कुछ समय पहले हुई घटना के बाद मेरे लिए बड़ी परेशानी बन गया है।' चव्हाण के मुताबिक सेना छोड़ने के बाद वह एक सामान्य जिंदगी जीना जाते हैं।
89 दिनों की सजा भी झेली
हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक डिफेंस पीआरओ से इस बारे में जवाब मांगा गया है लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है। सूत्रों की मानें तो हॉस्पिटल में चव्हाण के टेस्ट हुए हैं और सबकुछ नॉर्मल आया है। उन्हें एक या दो दिन में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जा सकता है। पाकिस्तान से लौटने के बाद चंदू डिप्रेशन में नजर आ रहे थे। चव्हाण जम्मू कश्मीर में तैनात थे और बाद में उन्हें उनकी गलती के लिए 89 दिनों की सजा भी हुई थी। यह सजा उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत सुनाई गई थी। चंदू महाराष्ट्र के धुले जिले के बोहरिविर गांव के रहने वाले हैं।