SC से लगा नोएडा-ग्रेटर नोएडा की रियल एस्टेट कंपनियों को बड़ा झटका, 2020 का आदेश लिया वापस
Supreme Court सुप्रीम कोर्ट से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रियल एस्टेट कंपनियों को एक बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने जून 2020 के आदेश को वापस ले लिया, जिसमें बिल्डरों को पट्टे पर दी गई जमीन के लिए बकाया राशि पर ब्याज की दर 8% थी। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और अजय रस्तोगी की बेंच ने आदेश को वापस ले लिया है।
दरअसल, कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों द्वारा भूमि की कीमत के भुगतान में देरी होने पर लगने वाले 15-23 फीसदी ब्याज दर को 8 फीसदी तक सीमित कर दिया था। इस मामले की सुनवाई में नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से सीनियर वकील रवींद्र कुमार ने अदालत को बताया कि बिल्डरों की ओर से भुगतान में देरी होने पर ब्याज दर की सीमा को 8 फीसदी तक करने के आदेश के चलते प्राधिकरणों को 7500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ेगा, जिससे काम-काज लगभग थप हो गया है। कोर्ट को बताया कि ये आदेश फैक्ट के आधार पर नहीं लिया गया है, और इससे प्राधिकरण वित्तीय तौर पर संकट में आ जाएंगे। वहीं बिल्डरों के लिए ब्याज दरों में कमी का फायदा होम बायर्स को भी नहीं मिलने वाला है।
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बिल्डर और प्राधिकरण के बीच समझौते की शर्तों के अनुसार विलंबित भुगतान के लिए ब्याज दर 15-23% की सीमा में आती है, लेकिन शीर्ष अदालत ने इसे 8% पर सीमित कर दिया था और इसे एसबीआई एमसीएलआर (निधि की सीमांत लागत आधारित उधार दर) से जोड़ दिया था। जून 2020 में आम्रपाली मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा था कि रियल एस्टेट क्षेत्र को "जोर देने" और बिल्डरों को राहत देने की आवश्यकता है, उनमें से कई महामारी के कारण आर्थिक मंदी के कारण संघर्ष कर रहे हैं। इसने कहा कि 8% की उचित ब्याज दर वसूलने से वे आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए धन का निवेश करने में सक्षम होंगे।