रामालिंगा राजू: कभी होती थी बिल गेट्स से तुलना आज जेल में
हैदराबाद| देश की एक शीर्ष सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी सत्यम की स्थापना करने वाले बी रामालिंगा राजू को कभी आंध्र प्रदेश का बिल गेट्स कहा जाता था। रामालिंगा राजू 2000 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की हैदराबाद यात्रा के समय उनके साथ एक मंच पर भी बैठे थे।
गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने उन्हें, उनके दो भाइयों और सात अन्य को सत्यम घोटाला मामले में सात साल के कारावास की सजा सुना दी, जो सीबीआई के मुताबिक उद्योग जगत का सबसे बड़ा घोटाला है।
कभी होती थी बिल गेट्स से तुलना आज जेल में
इस मामले में 2011 में उन्हें जमानत मिल गई थी और उससे पहले वह 32 महीने जेल में जेल में काट चुके थे।आईटी उद्योग के इस पोस्टर ब्वॉय माने जाने वाले का पतन 2009 में शुरू हुआ, जब उन्होंने सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और यह भी स्वीकार किया कि कंपनी के मुनाफे को कई साल से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। समय ने करवट बदली और उन्हें आलीशन बंगले और अत्याधुनिक कार्यालय से निकालकर हैदराबाद के चंचलगुदा जेल में डाल दिया।
2011 में उन्हें जमानत मिल गई थी
रामालिंगा तटीय आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता एक किसान थे। उन्होंने 1977 में कपड़ा बुनाई तथा निर्माण का कारोबार शुरू किया।उनके पास इंजीनियरिंग की कोई डिग्री नहीं थी, लेकिन उनके साले डी वी एस राजू एक इंजीनियर थे, जिन्होंने उन्हें 1987 में सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज स्थापित करने और आईटी क्षेत्र में प्रवेश करने की सलाह दी।
अपने
उद्यम
कौशल
के
बल
पर
राजू
ने
सत्यम
को
देश
की
सबसे
प्रमुख
आईटी
कंपनी
बना
दिया।सत्यम
ने
1988
में
सत्यम
इंफोवे
के
माध्यम
से
इंटरनेट
क्षेत्र
में
कदम
रखा।
कारपोरेट
जगत
के
सामाजिक
योगदान
(सीएसआर)
में
भी
राजू
ने
बढ़
चढ़
कर
हिस्सा
लिया।उन्होंने
बायराजू
फाउंडेशन
और
सत्यम
फाउंडेशन
के
जरिए
अनेक
सामाजिक
महत्व
की
परियोजनाएं
चलाईं।
राजू को मिले पुरस्कारों की भी एक लंबी फेहरिश्त है। उन्हें मिले पुरस्कारों में शामिल हैं ईएंडवाई एंटरप्रेन्योर ऑफ द इयर अवार्ड-2000, एशिया बिजनेस लीडर अवार्ड 2002, गोल्डन पीकॉक अवार्ड फॉर कारपोरेट गवर्नेस।
सत्यम 2001 में न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई और 2006 में उसकी आय एक अरब डॉलर से अधिक हो गई और 2008 में यह दो अरब डॉलर को पार कर गई।सत्यम का कारोबार 65 देशों में फैल गया और लंबे समय तक यह चौथी सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी रही।
घोटाला सामने आने से कुछ ही सप्ताह पहले कंपनी ने 2.4 अरब डॉलर की आय और 53 हजार कर्मचारी संख्या की घोषणा की थी।राजू के लिए संकट दिसंबर 2008 में शुरू हुआ, जब उनके पुत्रों की दो कंपनियों को खरीदने की कोशिश आखिरी समय में शेयर धारकों के विरोध के कारण नाकाम हो गई।
उसी महीने आंकड़े चोरी करने और अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप में विश्व बैंक ने सत्यम को आठ साल के लिए काली सूची में डाल दिया।घोटाला के बाद सरकार द्वारा आयोजित नीलामी में टेक महिंद्रा ने सत्यम का अधिग्रहण कर लिया और बाद में उसे टेक महिंद्रा में विलय कर लिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।