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मध्यप्रदेश में ‘सपाक्स’ का उदय डुबा सकता है भाजपा का सूरज

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नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज हो गई हैं और लग रहा है कि प्रदेश में इस बार के विधानसभा चुनाव काफी रोचक होने वाले हैं। 15 साल से बीजेपी यहां सत्ता में है और अगर पिछले तीन चुनावों को देखें तो इसमें बीजेपी ने कांग्रेस को एक तरफा मात दी है। लेकिन इस बार हालात बदलते दिख रहे हैं। बीजेपी से कई मुद्दों को लकेर लोगों में नाराजगी है तो कांग्रेस भी इस बार पहले ज्यादा एकजुट दिख रही है। इसके अलावा बीजेपी के लिए इस बार नई परेशानी सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग यानी सपाक्स ने खड़ी कर दी है। सपाक्स ने 2 अक्टूबर को अपने राजनीतिक दल 'सपाक्स पार्टी' की घोषणा की और मध्यप्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।

sapaks
'सपाक्स' बिगाडेगी समीकरण
मध्यप्रदेश की राजनीति के जानकारों का कहना है कि सपाक्स विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों का खेल बिगाड़ सकती है। पांच हजार से कम मार्जिन की जीत वाली दो दर्जन सीटों के परिणाम पर सपाक्स असर डाल सकती है। सपाक्स के मैदान में उतरने का ज्यादा नुकसान बीजेपी को झेलना पड़ सकता है। क्योंकि पार्टी लोगों से बीजेपी को वोट ना देने की अपील कर रही है। दूसरा ये कि सपाक्स सामन्य और पिछड़ों का संगठन है जो अब तक बीजेपी का समर्थन करते आए हैं। लेकिन अब अगर ये वोट बीजेपी से छिटकता है तो उसे नुकसान होगा। कम मार्जिन की जीत वाली सीटों पर इसका सीधा असर होगा। सामान्य वर्ग एससी/एसटी एक्ट और प्रमोशन में आरक्षण जैसे मुद्दों पर पहले से ही बीजेपी से नाराज चल रहा है और एससी/एसटी एक्ट के विरोध का व्यापक असर मध्यप्रदेश झेल चुका है।
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आरक्षण का होगा विरोध
मध्यप्रदेश सपाक्स समाज के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी को इस नई पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी के नवनिर्वाचित संगठन महासचिव सुरेश तिवारी ने बताया कि सपाक्स पार्टी आरक्षण और पिछड़ों की विरोधी नहीं है। जिसका जो हक है उसे मिलना चाहिए। जो पिछड़े हैं उन्हें आगे लाने के लिए आरक्षण जरूरी है लेकिन ये जाति या धर्म के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर होना चाहिए। तिवारी कहते हैं कि जिन्हें एक बार आरक्षण मिल गया है उन्हें दोबारा ये नहीं मिलना चाहिए। एससी-एसटी में एक विशेष वर्ग ही आरक्षण का लाभ दशकों ले रहा है, जबकि पिछड़ों को इसका लाभ नहीं मिल रहा। उन्होंने बताया कि हम सरकार से पिछले दो साल से आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे हैं लेकिन इस ओर प्रदेश और केंद्र सरकार का रवैया नकारात्मक ही रहा है। अब राजनीतिक दल बनाने के बाद हम अपने प्रतिनिधियों को विधानसभा और लोकसभा में भेजेंगे और इस व्यवस्था को सुधारेंगे।

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English summary
sapaks a new political party in madhya Pradesh can give BJP sleepless nights
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