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क्या है लैंड डील का असली लोचा जिसके चलते वाड्रा ने खो दिया आपा और देने लगे गालियां?

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नयी दिल्‍ली (ब्‍यूरो)। पहले लव फिर लैंड ये लोचे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। मगर इस बार रॉबर्ट वाड्रा एक अलग ही विवाद में फंस गये हैं। जी हां उन्‍होंने सरेआम मीडियाकर्मियों से बदसलूकी की है। रॉर्बट वाड्रा प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी एएनआई के पत्रकार के एक सवाल से इस तरह भड़के कि उन्होंने पत्रकार का माइक फेंक दिया। इतना ही नहीं वाड्रा ने पत्रकार को गालियां दी और उनके उनके सुरक्षाकर्मियों ने कैमरामैन से भी बदसलूकी की।

Robert Vadra snaps at TV reporter when asked about Haryana land deals
दरअसल पत्रकार ने जब वाड्रा से जमीन सौदों को लेकर सवाल पूछा तो वो भड़क गए। उन्होंने ऑन कैमरा पूछा ‘आर यू सीरियस, आर यू सीरियस, आर यू सीरियस...?' इसके बाद उन्होंने हाथ मारकर माइक एक ओर फेंक दिया। फिर पत्रकार को गाली देते हुए आगे बढ़ गये। इस घटना के बाद से भारतीय जनता पार्टी ने हमला बोल दिया है। गौरतलब है कि वाड्रा के जमीन सौदों को लेकर कांग्रेस की खूब किरकिरी हो चुकी है।

हाल ही में पिछले 10 साल से हरियाणा में काबिज कांग्रेस की राज्य में बुरी तरह से हार हुई है। इसके बाद एक बार फिर रॉबर्ट वाड्रा के जमीन सौदों की जांच की बातें सामने आ रही हैं। तो आईए जानते हैं कि आखिर राबर्ट वाड्रा लैंड डील है क्या? और इस पर इतना विवाद क्यों है? आखिर इस पूरे मामले में ऐसा क्‍या है जिसके चलते रॉर्बट वाड्रा ने मीडिया से बदसलूकी कर दी। मामला दरअसल 2008 का है। रॉबर्ट वाड्रा की कम्पनी स्काई लाइट्स हॉस्पिटैलिटिज ने 2008 में गुड़गांव की शिकोहपुर तहसील में मौजूद खसरा नंबर 730 की पांच बीघा 13 बिसवा जमीन (साढ़े तीन एकड़) ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से फर्जी कागजात के आधार पर खरीदी थी। जमीन का सौदा साढ़े सात करोड़ में दिखाया गया। रजिस्ट्री में कॉरपोरेशन बैंक के चेक से भुगतान दिखाया गया।

इसके बाद वाड्रा ने तत्कालीन हरियाणा सरकार से जमीन पर कॉलोनी बनाने का लाइसेंस लेकर 2008 में ही उसे 58 करोड़ रुपए में डीएलएफ को बेच दिया। चकबंदी महानिदेशक पद पर रहते हुए अशोक खेमका की 21 मई 2013 को दी रिपोर्ट के मुताबिक जांच में पता चला कि जमीन खरीदने के लिए वाड्रा ने साढ़े 7 करोड़ रुपए की कोई पेमैंट की ही नहीं थी। रिपोर्ट में आरोप है कि वाड्रा ने 50 करोड़ रुपए लेकर डीएलएफ को सस्ते में लाइसेंस शुदा जमीन दिलवाने के लिए मध्यस्थ की भूमिका अदा की। अशोक खेमका के वकील अनुपम गुप्ता ने कहा कि ये सब फर्जीवाड़ा था। डीएएलएफ को कॉलोनी बनाने के लिए लाइसेंस चाहिए था, इसके लिए उसको कई सौ करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते लेकिन वाड्रा ने बिचौलिए की भूमिका निभा कर यह काम सिर्फ 50 करोड़ रुपए में करवा दिया।

इधर हरियाणा सरकार ने इस डील पर एक जांच कमेटी बना दी थी लेकिन खेमका को इस कमेटी पर भरोसा नहीं था। उनकी दलील थी कि जांच कमेटी के तीन अफसरों में एडीशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी कृष्ण मोहन और एसएस जालान हैं। खेमका के मुताबिक वाड्रा जमीन सौदे के वक्त कृष्ण मोहन खुद राजस्व विभाग के प्रमुख थे, जबकि जालान वाड्रा की कंपनी को कॉलोनी काटने का लाइसैंस देने वाले टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के प्रमुख थे। वहीं इस मामले में कई बार सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी उठ चुका है कि राबर्ट सोनिया गांधी के दामाद हैं इसलिए कुछ नहीं बोले। वहीं हुड्डा ने इस मामले में अपनी भूमिका होने से इंकार किया है।

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English summary
Robert Vadra, son-in-law of Congress chief Sonia Gandhi, on Saturday snapped at a TV crew and pushed away the mic after he was asked for a comment on an impending probe into his company's land deals in Haryana.
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