चीन ने जब पूछा ये तुम्हारा इलाका है? तो डोवाल ने दिया ये करारा जवाब
भारत चीन के बीच डोकलाम विवाद के खत्म होने की पीछे की असल कहानी, कैसे अजीत डोवाल ने चित्त किया चीन को
नई दिल्ली। डोकलाम मुद्दे को लेकर जिस तरह से चीन और भारत के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था, उसपर आखिरकार बेहतरीन कूटनीतिक बातचीत के जरिए विराम लग गया है। लेकिन भारत की ओर से इस बेहतरीन कूटनीति की अगुवाई देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने की। डोवाल ने चीन के साथ बातचीत में सवालों का जवाब इस अंदाज में दिया जिसने चीन को अपना रुख बदलने के लिए मजबूर कर दिया। दरअसल डोवाल ने चीन के साथ बातचीत में एक ऐसा यक्ष प्रश्न सामने रखा जिसके बाद चीन को बगलें झांकने के लिए मजबूर होना पड़ गया। भारत और चीन के दौरान कूटनीतिक स्तर पर जब बातचीत शुरू हुई और दोनों देशों के शीर्ष अधिकारी एक दूसरे के सामने बैठे तो चीन ने डोवाल से सीधा सवाल यह किया कि क्या डोकलाम जमीन आपकी है, जिसके जवाब में डोवाल ने तीखा सवाल यह दागा कि क्या हर विवादित जमीन आपकी है?
डोकलाम विवाद पर भारत का सधा हुआ रुख
डोकलाम विवाद के दौरान एक तरफ जहां चीन मीडिया के जरिए तमाम भाषणबाजी कर रहा था तो दूसरी भारत ने किसी भी तरह की भाषणबाजी से दूर रहते हुए शांत रहने का रास्ता अख्तियार किया था। लेकिन जिस तरह से पर्दे के पीछे जो बात चल रही थी, उसमे भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए अपना पक्ष रखा। दिल्ली में शीर्ष सूत्रों ने वनइंडिया को बताया कि जिस वक्त जरूरत थी भारत ने सख्त रुख अख्तियार किया। भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद को लेकर पहले चरण की बातचीत जून माह में हुई थी, उस वक्त अजीत डोवाल चीन में ब्रिक्स की एनएसए मीट में शामिल होने के लिए गए थे।
Recommended Video
डोवाल के तीखे सवाल और चीन चित्त
भारत और चीन के बीच जब डोकलाम के विवाद को लेकर बातचीत शुरू हुई तो चीन की ओर से जेची ने समाधान की पहल नहीं की थी। उन्होंने डोवाल से सीदा सवाल किया कि क्या डोकलाम भारत का हिस्सा है। सूत्रों की मानें तो इसके जवाब में डोवाल ने उल्टा सवाल यह दाग दिया कि क्या हर विवादित हिस्सा अपने आप चीन का हिस्सा हो जाता है। यही नहीं डोवाल ने कहा कि दोनों ही देशों के लिए बेहतर है कि वह अपनी-अपनी सेनाओं को डोकलाम में पीछे कर लें, क्योंकि डोकलाम पर चीन का दावा अभी तक सुलझा नहीं है।
हम भूटान की मदद के लिए प्रतिबद्ध
डोवाल ने चीन को साफ किया कि डोकलाम चीन का हिस्सा नहीं है बल्कि यह भूटान का हिस्सा है और भारत-भूटान के बीच करार के चलते भारत भूटान की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने चीन को यह भी साफ कर दिया है कि भारत ने भूटान को यह वायदा किया है कि वह भूटान को पूर्वी डोकलाम का 500 किलोमीटर का हिस्सा उसके हवाले करेगा। चीन के साथ इन तमाम बातचीत के बाद भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर ने कई दौर की बातचीत की। इस दौरान इस बात को दोहराया गया कि दोनों देशों के लिए सेना को पीछे करना बेहतर विकल्प है, इस विवाद को आगे बढ़ाने से कुछ हासिल नहीं होने वाला है।
पीएम मोदी की भूमिका अहम
चीन
के
साथ
बातचीत
के
दौरान
तमाम
समझौते
पीएम
मोदी
के
निर्देश
के
अनुसार
किए
गए,
पीएम
मोदी
ने
यह
साफ
कर
दिया
था
कि
वह
किसी
भी
कीमत
पर
इस
विवाद
का
समाधान
चाहते
हैं।
पीएम
नहीं
चाहते
थे
कि
दोनों
देशों
के
बीच
किसी
भी
तरह
का
विवाद
हो,
लेकिन
इसके
साथ
ही
उन्होंने
यह
भी
साफ
कर
दिया
था
कि
हमें
खुद
को
निरीह
भी
नहीं
दिखाना
है।
उन्होंने
इस
बात
को
दोहराया
कि
डोकलाम
में
पूर्व
की
स्थिति
को
किसी
भी
हाल
में
स्थापित
करना
है।
ऐसे
में
दोनों
देशों
के
बीच
समझौता
काफी
अहम
है।
पीएम
मोदी
चीन
में
ब्रिक्स
मीट
में
हिस्सा
लेने
के
लिए
जाएंगे
और
इसकी
पुष्टि
विदेश
मंत्रालय
ने
मंगलवार
को
ही
की
है।