8 साल की उम्र में शादी के बाद पढ़ाई के लिए घरवालों से लड़ी लड़ाई, अब कर रहीं MBBS
नई दिल्ली। भारत के ऐसे कई राज्यों में कई महिलाएं ऐसी हैं जो अपने पढ़ाई के अधिकार के लिए किसी और से नहीं बल्कि अपने घर वालों से लड़ रही है। ताकि वो पढ़ लिख कर आगे कुछ कर सकें। इसी कड़ी में राजस्थान की रूपा का नाम भी शामिल है। रुपा ने अपने घरवालों से पढ़ाई की लड़ाई जीतकर अब कदम घर से बाहर निकाल लिया और डॉक्टर बनने के लिए एमबीबीएस की तैयारी में जुटी हुई हैं।
कक्षा तीसरी में थीं तभी हो गई थी शादी
इंडिया टुडे वुमन समिट एंड अवार्ड्स समारोह में शामिल हुईं रूपा ने अपने जीवन से जुड़ी कई बातें शेयर की हैं। उन्होंने बताया कि जब वो तीसरी कक्षा में थी तभी परिवार वालों ने उनकी शादी कर दी। उम्र महज 8 साल थी। इसलिए शादी के बारे में ज्यादा कुछ पता था नहीं। लेकिन वो इस बात से खुश थीं कि उन्हें नए कपड़े मिल रहे हैं और घर में मिठाइयां बन रही हैं। शादी के बाद रुपा ने कक्षा 10वीं तक की पढ़ाई अपने मायके से ही की और बाद में ससुराल चली गईं।
कक्षा 11 में पहली बार नीट एग्जाम का नाम सुना
रूपा ने बताया कि उनके ससुराल वाले भी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे। उन्होंने उनसे बात की तो 11वीं कक्षा में एडमिशन करा दिया। वहां जाकर रूपा ने पहली बार नीट परीक्षा का नाम सुना और उसके बारे में जाना। रूपा का सपना डॉक्टर बनने का था। इसके बाद खेत में काम भी करती थी और घर में पढ़ाई भी करती थी। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई शुरू की। उसके बाद वो नीट की तैयारी के लिए कोटा गईं और उनका बीकानेर के एक कॉलेज में एडमिशन हो गया और अब वो आगे की पढ़ाई कर रही हैं।
साल 2017 प्राप्त किए 603 अंक
घर का पूरा कामकाज करने के बाद भी रूपा ने इसी साल नीट एग्जाम 2017 में 603 अंक प्राप्त किए। रूपा को आल इंडिया में 2283वीं रैंक मिली। इसके बाद उनको बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला। अब यहां रूपा के लिए ये दिक्कत थी कि वो कॉलेज की फीस और हॉस्टल खर्च कहा से भरे। इसके बाद उनकी मदद के लिए खुद राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आगे आईं और बीकानेर कलेक्टर अनिल गुप्ता को रूपा की मदद के लिए निर्देश दिए।
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