राजस्थान में दूध से भी महंगा बिक रहा गोमूत्र, जानिए क्या है वजह
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नई दिल्ली। केवल दूध ही नहीं अब गोमूत्र भी राजस्थान के किसानों की आय का अहम स्त्रोत बन गया है। राजस्थान में पशुपालन के क्षेत्र में काम करने वाले किसानों के मुताबिक दूध के साथ-साथ गोमूत्र की बिक्री में भी तेजी से इजाफा देखा जा रहा है। टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में गिर और थरपारकर जैसी उच्च नस्ल की गाय का गोमूत्र थोक बाजार में 15 से 30 रुपये/लीटर में बिक रहा है, वहीं इन गायों का दूध 22 से 25 रुपये लीटर में बिकता है। इसी वजह से राजस्थान के डेयरी किसानों की आय में करीब 30 फीसदी का इजाफा देखा जा रहा है।
गोमूत्र भी बना किसानों की आय का अहम स्त्रोत
जयपुर के किसान कैलाश गुज्जर ने टीओआई से बातचीत में बताया कि जैविक खेती से जुड़े लोगों ने उनसे गोमूत्र खरीदना शुरू किया। गाय के दूध के साथ-साथ गोमूत्र की बिक्री की वजह से उनकी आय में करीब 30 फीसदी का इजाफा हुआ। उन्होंने बताया कि गोमूत्र का इस्तेमाल जैविक खेती के लिए होता है। जैविक खेती करने वाले किसान गोमूत्र का इस्तेमाल केमिकल युक्त खाद के विकल्प के रूप में करते हैं। इसके अलावा गोमूत्र का इस्तेमाल दवा और धार्मिक कार्यों में भी किया जाता है।
गोमूत्र की बिक्री में भी तेजी से इजाफा
कैलाश गुज्जर ने बताया कि गोमूत्र एकत्र करने के लिए वो सारी रात जगकर गायों पर नजर रखते हैं। उनकी कोशिश यही होती है कि गोमूत्र जमीन पर गिरकर बर्बाद नहीं हो। गुज्जर ने बताया कि वो पिछले दो दशक से गाय का दूध बेचते रहे हैं। दूध विक्रेता ओम प्रकाश मीणा ने बताया कि वो जयपुर में गिर गायों के गोमूत्र को खरीदते हैं। उन्होंने बताया कि वो गोमूत्र को करीब 30 रुपये से लेकर 50 रुपये प्रति लीटर में बेचते हैं। जैविक खेती करने वाले किसानों में इसकी मांग सबसे ज्यादा रहती है।
किसानों की आय में करीब 30 फीसदी का इजाफा
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय में भी हर महीने करीब 300 से 500 लीटर गोमूत्र की खरीदा जाता है। इस गोमूत्र का इस्तेमाल ऑर्गेनिक खेती से जुड़े प्रोजेक्ट में किया जाता है। राजस्थान सरकार के गोपालन विभाग के मंत्री ओता राम देवासी ने बताया कि राजस्थान में 2562 प्रदेश सरकार की ओर से संचालित गोशाला हैं, इनमें करीब 8 लाख 58 हजार 960 गाय हैं।
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