कृषि विधेयकों के विरोध में किसानों का 'रेल रोको' आंदोलन आज से शुरू
पंजाब में किसानों ने इन कृषि विधेयकों के विरोध में 'रेल रोको' आंदोलन शुरू किया है, जो तीन दिन तक चलेगा।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों को लेकर हरियाणा और पंजाब के किसान पिछले काफी दिनों से सड़कों पर हैं। किसानों की मांग है कि सरकार के ये विधेयक किसान विरोधी हैं और इन्हें तत्काल वापस लिया जाए। बुधवार को भी हरियाणा में किसानों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया और पुलिस को प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। अब पंजाब में किसानों ने इन कृषि विधेयकों के विरोध में 'रेल रोको' आंदोलन शुरू किया है, जो आज से शुरू होकर तीन दिन तक चलेगा।
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किसान संगठनों ने 25 सितंबर को बुलाया बंद
पिछले हफ्ते किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कृषि विधेयकों के खिलाफ हम लोगों ने पंजाब में 24 से 26 सितंबर तक रेल रोको आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि सरकार के इन कृषि विधेयकों के लोकसभा में पास होने के बाद से ही किसानों से जुड़े संगठन लगातार इनका विरोध कर रहे हैं। वहीं, कुछ अन्य किसान संगठनों ने 25 सितंबर को बंद का भी आह्वान किया है।
विपक्षी पार्टियों ने किया कृषि विधेयकों का विरोध
आपको बता दें कि लोकसभा में पास होने के बाद दो मुख्य कृषि विधेयक बीते रविवार को राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच ध्वनि मत से पारित किए गए थे। अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये विधेयक कानून बन जाएंगे। हालांकि कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, सपा और वाम दलों सहित कई पार्टियां इन विधेयकों का लगातार विरोध कर रही हैं। बुधवार को संसद भवन परिसर में भी विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त तौर पर कृषि विधेयकों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया।
क्यों विरोध कर रहे हैं किसान?
दरअसल, कृषि विधेयकों का विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि उन्हें डर है कि नए कानून बनने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का सिस्टम खत्म हो जाएगा और किसानों को बड़े कॉर्पोरेट की दया पर छोड़ दिया जाएगा। वहीं, सरकार का दावा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले की तरह जारी रहेगा और नए कानून बनने के बाद किसानों को अपनी फसल पर ज्यादा लाभ मिलेगा। इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करते हुए कहा था कि किसानों से जुड़े ये विधेयक ऐतिहासिक हैं और इनके जरिए किसान बिचौलियों के चंगुल से निकलकर अपनी फसल की उपज कहीं भी अच्छे दामों में बेच सकेगा।
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