राहुल गांधी इस्तीफे पर अडिग, उत्तराधिकारी के लिए अगले हफ्ते हो सकती है बैठक
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला लिया है। पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं की तमाम कोशिशों के बाद भी राहुल गांधी अपने पद से इस्तीफा देने के फैसले पर अडिग हैं, साथ ही उन्होंने साफ कर दिया है कि इस जिम्मेदारी के लिए नए व्यक्ति की तलाश की जाए। सूत्रों के अनुसार आखिरकार पार्टी राहुल गांधी के उत्तराधिकारी की तलाश में जुट गई है। इस बाबत कांग्रेस एक और वर्किंग कमेटी की बैठक का आयोजन करने जा रही है, जिसमे पार्टी के नए मुखिया का चयन किया जा सकता है।
फैसले पर अडिग
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में अपना इस्तीफा देने वाले राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि वह अपने फैसले से नहीं डिगेंगे। सूत्रों की मानें तो पार्टी के नेता अभी भी यह कोशिश कर रहे हैं कि वह राहुल गांधी को इस बात के लिए मना लें कि वह अपने फैसले पर फिर से विचार करें। सूत्रों के अनुसार शनिवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने यह भी साफ कर दिया है कि पार्टी के नए अध्यक्ष के तौर पर उनकी मां और बहन के नाम कि कतई सिफारिश ना की जाए।
नेहरू-गांधी परिवार के हाथ में कांग्रेस की कमान
बता दें कि आजादी के बाद कांग्रेस को ज्यादातर नेहरू-गांधी परिवार ने ही चलाया है। हालांकि पार्टी ने सीताराम केसरी की अगुवाई में बेहतर प्रदर्शन किया था, जिन्होंने पार्टी की कमान तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद संभाली थी। जिसके बाद सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाली थी। लेकिन जिस तरह से पार्टी लोकसभा चुनाव में लगातार दो बार हारी और 17 राज्यों में एक भी सीट पर जीत नहीं दर्ज की उसके बाद राहुल गांधी ने पार्टी की कमान संभालने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने इस बात का भरोसा दिया है कि वह नए अध्यक्ष को पार्टी की कमान संभालने में मदद करेंगे और पार्टी के सच्चे सिपाही बने रहेंगे।
राहुल ने लगाए थे संगीन आरोप
बता दें कि राहुल गांधी ने खुलकर कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने अपने बेटों को टिकट दिलाने के लिए जोर लगाया। उन राज्यों में भी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा जहां पर कांग्रेस की सरकार है। राहुल ने कहा कि मैं इन नेताओं के बेटों को टिकट दिए जाने के पक्ष में नहीं था। इन लोगों ने पार्टी से आगे अपने बेटों को रखा। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान जिन मुद्दों को आगे बढ़ाकर भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ प्रचार करना था उसे लेकर नेताओं में आम राय नहीं बन सकी।
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