पंचकूला पर हाईकोर्ट ने कहा- प्रशासन की वजह से इकट्ठा हुए लोग
चंडीगढ़। 2 साध्वियों से बलात्कार करने के मामले में राम रहीम पर सुनवाई के पहले हरियाणा के पंचकूला में लगाई गई धारा 144 पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सवाल पूछा है। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसएस सारों, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अवनीश झिंगन की फुल बेंच ने हरियाणा सरकार के एडवोकेट जनरल बीआर महाजन से धारा 144 पर पूछा कि क्या यह सोची समझी रणनीति थी या फिर क्लेरिकल मिस्टेक, इन दोनों में से कौन सी बात सही है। हाईकोर्ट के इस सवाल पर महाजन ने कहा कि यह क्लेरिकल मिस्टेक थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि सिरसा स्थित डेरा समर्थकों के पंचकूला पहुंचने की वजह खुद स्थानीय प्रशासन था। अदालत में पंजाब सरकार ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों से सुरक्षा व्यवस्था पर किए गए खर्च की जानकारी मांगी है। 13 जिलों से जो खर्च का ब्योरा आया है उसके अनुसार 2 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। बाकी 9 जिलों की ओर से सुरक्षा पर किए गए खर्च का ब्योरा अभी नहीं आया है।
पीएम पर टिप्पणी का क्लैरिफिकेशन
फुलबेंच के तीनों जजों ने सुनवाई की शुरुआत में ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई टिप्पणी को लकेर वो क्लैरीफिकेशन चाहते हैं। बेंच ने कहा कि मीडिया ने उनकी टिप्पणी को सही रूप में पेश नहीं किया। जिस पर वरिष्ठ वकील अनुपम गुप्ता ने कहा कि बेंच ने डीजीपी को हटाने पर भी टिप्पणी की थी, ऐसे में उन्हें प्रधानमंत्री पर की गई टिप्पणी पर किसी तरह के क्लैरिफिकेशन मांगने की बात नहीं कहना चाहिए।
वहीं पंचकूला में सुनवाई के दिन राम रहीम के काफिले पर हरियाणा सरकार की ओर से कहा गया कि उसकी जांच करना संभव नहीं था। हाईकोर्ट ने पूछा कि इन गाड़ियों में हथियार थे। सिरसा से चलने पर इन्हें पंचकूला की सीमा पर क्यों नहीं रोका गया। बता दें कि अदालत इस मामले में 27 सितंबर को फिर से सुनवाई करेगी।
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