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मोस्ट फेवर्ड नेशन नहीं रहा पाकिस्तान, शत्रु देश का दर्जा देने की जरूरत

By प्रेम कुमार
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नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया है। 1996 में यह दर्जा पाकिस्तान को भारत ने दिया था। वहीं, पाकिस्तान कभी भी भारत को यही दर्जा नहीं दे पाया। भारत की ओर से यह कार्रवाई पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले के बाद की गयी है। भारत ने पाकिस्तान को एमएनएफ का दर्जा दिए जाने की समीक्षा 2016 में उरी पर सेना के कैम्प में हुए हमले के बाद शुरू की थी। इस तरह चार साल की समीक्षा के बाद मोदी सरकार ने यह फैसला लिया।

MFN नहीं रहा पाकिस्तान, शत्रु देश का दर्जा देने की जरूरत

पुलवामा हमले के अगले दिन मोदी सरकार का फैसला कूटनीतिक नज़रिए से भी अहम है। जब-जब भारत ने पाकिस्तान को आतंकी देश की सूची में डालने की मांग की है, भारत इस बात के लिए सवालों में रहा है कि जब वह खुद पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन बताता है तो किस मुंह से उसे आतंकी देश घोषित करने की मांग करता है। अब यह सवाल हमेशा के लिए हट गया है।

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MFN का दर्जा पाक से छीनने का सांकेतिक महत्व अधिक

MFN का दर्जा पाक से छीनने का सांकेतिक महत्व अधिक

फैसले की पृष्ठभूमि पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर फिदायीन हमला है और इस लिहाज से सवाल पूछा जाना लाजिमी है कि क्या यह कदम पर्याप्त है? निश्चित रूप से यह कदम पर्याप्त नहीं है, मगर इसके बिना सख्त कदम उठाने से हम खुद सवालों के घेरे में आते रहे थे। ऐसे में इस कदम का सांकेतिक महत्व कहीं ज्यादा है। वास्तव में भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार नाममात्र का रह गया था। ऐसे में मोस्ट फेवर्ड नेशन की अहमियत भी बहुत नहीं रह गयी थी। गौरतलब है कि भारत के कुल व्यापार का 1 प्रतिशत ही पाकिस्तान के साथ है। दोनों देशों के बीच जो व्यापार 2015-16 में 641 अरब डॉलर का था, वह 2019 में महज 2 अरब डॉलर तक आ सिमटा है।

मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देने से संबंधित देश को फायदा ये होता है कि गैट में शामिल देशों में बाकी देशों के साथ हम जैसा व्यवहार करते हैं उससे कम उस देश के साथ नहीं करते। इस तरह से पाकिस्तान को भारत की ओर से यह सहूलियत मिली हुई थी कि बगैर द्विपक्षीय समझौते के बावजूद गैट के सदस्य देशों के साथ भारतीय व्यापार पाकिस्तान के साथ भी लागू था। अब यह स्थिति समाप्त हो गयी है।

भारत को हमले का जवाब देने का हक

भारत को हमले का जवाब देने का हक

पाकिस्तान लगातार अपनी धरती का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए होने की इजाजत देता रहा है। भारत सीमा पार आतंकवाद से त्रस्त रहा है। ऐसे में अब तक के सबसे बड़े हमले का जवाब देने के भारतीय अधिकार का समर्थन रूस ने भी किया है। अब अगला कदम भारत सरकार का यही हो सकता है। पाकिस्तानी सीमा में जो कैम्प हैं उन्हें नष्ट करने के लिए भारत एक बार फिर कार्रवाई कर सकता है। यहां तक कि वह सीमा पर आमने-सामने मोर्चा लेने के लिए भी तैयार है।

कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान की घेराबंदी करने के लिए भारत को निकलना होगा। आतंकवादी घटना का विरोध करने वाले देशों का साथ भारत को लेना होगा। इसके साथ ही पाकिस्तान की घेराबंदी के प्रयास भी करने होंगे। जब तक पाकिस्तान को ये पता नहीं चलता है कि आतंकवाद को समर्थन देने के बुरे परिणाम हो सकते हैं, तब तक वह अपनी गतिविधियों से बाज नहीं आने वाला है ये बात साबित हो चुकी है।

भारतीय सीमा पर स्थायी दीवार बनायी जाए

भारतीय सीमा पर स्थायी दीवार बनायी जाए

पुलवामा की घटना का जवाब देने के साथ ही यह सही वक्त है जब भारत अपनी सीमा को स्थायी रूप से सील करने के बारे में सोचे। वास्तविक सीमा को भूलकर नियंत्रण रेखा को ही अंतिम मानकर भारत अगर इसकी घेराबंदी करे, तो भी हम अपनी सीमा को सुरक्षित कर ले सकते हैं। घुसपैठ की समस्या स्वत: ख़त्म हो जाएगी। पाकिस्तान के मदद से जम्मू-कश्मीर में जो समांतर अर्थव्यवस्था चलाने की कोशिश हो रही है वह तंत्र भी बैठ जाएगा।

पाकिस्तान को शत्रु देश घोषित करने की जरूरत

पाकिस्तान को शत्रु देश घोषित करने की जरूरत

भारत को चाहिए कि वह पाकिस्तान को शत्रु देश घोषित करे। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि पाकिस्तान के भारत विरोधी रवैये में बदलाव आता नहीं दिख रहा है। एक बार शत्रु देश घोषित कर देने के बाद प्रतिक्रिया देने के लिए भारत को सबूत का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। अगर डराकर के ही पाकिस्तान को काबू में रखना है तो यही सही नीति होगी।

कहने की जरूरत नहीं कि पाकिस्तान के साथ हर तरह के रिश्ते तोड़ने की दिशा में भारत को आगे बढ़ना चाहिए। एक तरह से सीआरपीएफ पर हमले की पुलवामा की घटना ने भारत को यह स्वर्णिम मौका दिया है कि वह पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक के बाद एक जितने चाहे कठोर फैसले ले। मोस्ट फेवर्ड नेशन को इसकी शुरुआत भर माना जाना चाहिए।

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English summary
Pulwama Attack : Pakistan is not Most favored nation, need to give status of enemy country.
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