पुलवामा हमला: सोशल मीडिया पर गुस्सा ज़ाहिर कर रहे लोग
यूजर यशवंत कुमार ने इसे सुरक्षा में चूक बताते हुए लिखा है, ''उन्हें हमारे फ़ौजियों की बस की सही जानकारी कैसे मिली? 200 किलो विस्फोटक, जम्मू कश्मीर में कड़ी सुरक्षा रहती है आखिर वे चेक पॉइंट से बचे कैसे? देश के भीतर आतंकियों को ये विस्फोटक और हथियार मिलता कहां से है? जवान हमारी सुरक्षा के लिए हैं, जवानों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?''
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले में सीआरपीएफ़ के काफ़िले पर हुए चरमपंथी हमले में अब तक 34 जवानों के मारे जाने की ख़बर है. इस हमले में कई जवान घायल भी हुए हैं.
पुलवामा ज़िले के लेथपोरा में चरमपंथियों ने आईईडी धमाके के ज़रिये जवानों की बस को निशाना बनाया. इस बस में 40 से ज़्यादा जवान सवार थे.
सीआरपीएफ़ के जवान 54 बटालियन के थे. धमाका इतना जबरदस्त था की सीआरपीएफ़ जवानों की पूरी बस ही उड़ गई.
प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमला करने का दावा किया है.
जवानों की मौत के बाद सोशल मीडिया पर लोग कहीं गुस्से का इज़हार कर रहे हैं तो कहीं जवानों की मौत के लिए शोक ज़ाहिर कर रहे हैं.
बीबीसी ने भी अपने पाठकों से फ़ेसबुक और ट्विटर पर इस घटना को लेकर प्रतिक्रिया मांगी थी.
पाठक इस हमले के लिए चरमपंथियों, पाकिस्तान और भारत सरकार को भी ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. कुछ लोग फिर से सर्जिकल स्ट्राइक की मांग कर रहे हैं तो कुछ सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहे हैं.
फ़ेसबुक पर ऐसे ही एक यूज़र नीरज सिन्हा ने लिखा है, ''पुलवामा में हुए आतंकी हमले में वीर जवानों की शहादत को मेरा शत-शत नमन... देश का बच्चा-बच्चा आपके साथ है और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि हमले में घायल जवान जल्दी स्वस्थ हों.''
यूज़र अलीम अंसारी ने लिखा है, ''सियासत तुम्हारे जिगर में अगर हौसला होता, लहू जवानों का सड़कों पर यू नहीं पड़ा होता... श्रद्धांजलि...''
एक यूजर रमेश कुमार ने लिखा है, ''उड़ी हमले की पुनरावृत्ति हुई है. मोदी जी एक और सर्जिकल स्ट्राइक करो, हम महंगा पेट्रोल और गैस खरीदने को तैयार हैं.''
एक यूज़र ने सर्जिकल स्ट्राइक पर आई फ़िल्म के माध्यम से सरकार पर तंज कसा है. यूज़र तलाल ख़ान ने बीबीसी के एक पोस्ट पर कमेंट किया है, ''मोदी ने बदला लेने के लिए बॉलीवुड के सभी फ़िल्मनिर्माताओं के साथ एक आपातकालीन बैठक बुलाई है.''
यूज़र शहनवाज़ आज़मी ने अपना गुस्सा ज़ाहिर करते हुए पूछा है, ''क्या पृथ्वी-अग्नि मिसाइल, अर्जुन टैंक, सुखोई विमान, ब्रह्मोस, अरिहंत-विक्रमादित्य जैसे घातक हथियारों का बस 26 जनवरी का मेला है?''
वहीं, लोग सुरक्षा के मामलों में राजनीति किए जाने की भी आलोचना कर रहे हैं. यूज़र दीपेश कुमार अहिरवार ने कमेंट किया है, ''सरकारी तंत्र और उनकी व्यवस्था चुनावी समर में व्यस्त है. वीर जवानों की शहादत के जिम्मेदार सिर्फ आतंकी ही नहीं बल्कि हमारी घटिया राजनीति भी है.''
ट्वीटर पर भी बीबीसी के एक पोस्ट पर लोगों ने अपनी राय ज़ाहिर की.
https://twitter.com/Aquibkhursheed2/status/1096084297222631424
यूज़र एक्विब खुर्शीद ने सरकार से जवाब मांगते हुए लिखा है, ''56 इंची शासन में ये 17वां हमला था, विपक्ष में रहते हुए ये 1 के बदले 10 सर ला रहे थे, और अब एक-एक बार मैं 30-30 सैनिकों को मरवा दे रहें हैं और जवाबी कारर्वाई कड़ी-निंदा के अलावा कुछ नहीं!''
https://twitter.com/Yashwant1794/status/1096089793065299968
यूजर यशवंत कुमार ने इसे सुरक्षा में चूक बताते हुए लिखा है, ''उन्हें हमारे फ़ौजियों की बस की सही जानकारी कैसे मिली? 200 किलो विस्फोटक, जम्मू कश्मीर में कड़ी सुरक्षा रहती है आखिर वे चेक पॉइंट से बचे कैसे? देश के भीतर आतंकियों को ये विस्फोटक और हथियार मिलता कहां से है? जवान हमारी सुरक्षा के लिए हैं, जवानों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?''