लोकसभा चुनाव 2019- किशनगंज लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: बिहार की किशनगंज लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के दिवंगत नेता मो. असरारुल हक कासमी सांसद थे। साल 2014 में इस सीट पर उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार को 19 लाख 4 हजार 612 वोटों से हराया था। बिहार की राजधानी पटना से 425 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित इस जगह को पहले 'कृष्णाकुंज' के नाम से जाना जाता था। बंगाल, नेपाल और बांग्लादेश की सीमा से सटा किशनगंज पहले पुर्णिया जिले का भाग था लेकिन 14 जनवरी 1990 को इसे पूर्ण रूप से जिला घोषित कर दिया गया।
किशनगंज लोकसभा सीट में 6 विधानसभा सीटें
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीटें हैं, जिनके नाम हैं- बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामिन, अमौर और वैशी। बिहार के प्राचीन इलाके में से एक किशनगंज की जनसंख्या साल 2011 की मतगणना के मुताबिक 16 लाख 90 हजार चार सौ हैं, जिनमें पुरुषों की संख्या 8 लाख 66 हजार नौ सौ सत्तर है जबकि महिलाओं की संख्या 8 लाख 23 हजार चार सौ तीस है। साल 1971 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे, जिसे कि कांग्रेस ने जीता था, इसके बाद 1977 में यहां पर भारतीय लोकदल का कब्जा रहा था, साल 1980 में यहां कांग्रेस की जीत हुई , 1991 के आम चुनाव में यहां जनता दल जीती और 1996 में भी उसका जादू बरकरार रहा, 1996 में यहां से मोहम्मद तसलीमुद्दीन सांसद चुने गए थे, साल 1998 में भी मोहम्मद तसलीमुद्दीन यहां से सांसद बने लेकिन इस बार वो जनता दल के साथ नहीं राजद के टिकट पर यहां से जीते थे।
साल 1999 में यहां पर भाजपा का जीत के साथ आगाज हुआ, लेकिन साल 2004 में यहां फिर से राजद ने वापसी की लेकिन साल 2009 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा और मो. असरारुल हक यहां के सांसद बने, साल 2014 के चुनाव में भी उनकी जीत का क्रम जारी रहा और वो दूसरी बार इस सीट से लोकसभा पहुंचें, लेकिन 7 दिसंबर 2018 को असरारूल हक कासमी का हृदयगति रूकने से निधन हो गया। वो 76 वर्ष के थे। संसद सदस्य के रूप में हक के कार्यकाल में किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए 224 एकड़ (91 हेक्टेयर) केंद्र की स्थापना हुई थी, वो बिहार के लोकप्रिय सांसदों में से एक थे। हक अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ऑल इंडिया मिली काउंसिल के अध्यक्ष भी थे, उनके निधन होने से किशनगंज लोकसभा सीट रिक्त हो चुकी है।
किशनगंज लोकसभा परिचय- प्रमुख बातें-
साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा दूसरे , JDU तीसरे और AAP चौथे नंबर पर थी। उस साल यहां पर मतदाताओं की संख्या 14 लाख 38 हजार नौ सौ नंबे थी, जिसमें 9 लाख 28 हजार चार सौ नंबे लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिनमें पुरुषों की संख्या चार लाख इक्कहत्तर हजार दो सौ नौ थी तो वहीं महिलाओं की संख्या चार लाख सत्तावन हजार दो सौ इक्यासी थी। किशनगंज मुस्लिम बाहुल्य इलाका है, यहां पर अल्पसंख्यकों की संख्या 67 प्रतिशत है तो वहीं हिंदुओं की 31 प्रतिशत है।
जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान के चलते आम निर्वाचन के एक साल पहले रिक्त होने वाली सीटों पर उपचुनाव कराने का प्रावधान नहीं है इसलिए इस सीट पर उपचुनाव नहीं हुए और इस पर निर्वाचन आम लोकसभा चुनाव के साथ ही होगा। इस सीट पर दो बार लगातार कांग्रेस जीती है। स्वगीर्य मो असरारुल हक कासमी एक लोकप्रिय सांसद थे और कांग्रेस की जीत में उनका बड़ा हाथ था, ऐसे में इस सीट पर हैट्रिक पूरी करने के लिए कांग्रेस को उन्हीं की तरह एक मजबूत प्रत्याशी चाहिए होगा तो वहीं इस बार एनडीए में जेडीयू शामिल है, जो कि कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं, देखते हैं इस बार यहां की जनता फिर से अपने पुराने साथी का साथ देती है या फिर किसी नए को मौका, फिलहाल इस बार यहां का रण आसान नहीं होगा, ये कहा जा सकता है।