लोकसभा चुनाव 2019: जामनगर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: गुजरात की जामनगर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा की पूनम माडम हैं। उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस नेता विक्रम माडम को 175, 289 वोटों से हराया था। पूनम माडम को इस चुनाव में 484, 412 वोट मिले थे तो वहीं विक्रम माडम को 309, 123 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। साल 2014 के चुनाव में ये सीट इसलिए काफी चर्चा में थी क्योंकि यहां चुनाव परिणाम आने से पहले ही इस सीट से दो बार सांसद रहे विक्रम माडम ने अपनी हार सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर ली थी। वोटिंग के दूसरे दिन ही उन्होंने कहा वो इस चुनाव में अपनी भतीजी पूनम माडम से हार रहे हैं और उनकी यह बात सही भी निकली थी।
जामनगर लोकसभा सीट का इतिहास
जामनगर के संसदीय क्षेत्र बनने के बाद इस सीट पर साल 1962 में आम चुनाव हुए, जिसे कांग्रेस ने जीता था। साल 1967 के चुनाव में स्वतंत्र पार्टी ने यहां जीत दर्ज की तो साल 1971 में यहां पर कांग्रेस के हाथ सफलता लगी थी। साल 1977 के चुनाव में जनता पार्टी यहां विजयी हुई। 1980-1984 में यह सीट पंजे के कब्जे में रही तो वहीं 1989 में यहां पहली बार कमल खिला और चंद्रेश पटेल यहां से सांसद बने। वो लगातार इस सीट से 5 बार सांसद चुने गए, साल 2004 में यहां कांग्रेस की जोरदार वापसी हुई और विक्रम माडम यहां से सांसद चुने गए और वो 2009 के चुनाव में भी यहां से जीते लेकिन साल 2014 के चुनाव में उन्हें भाजपा की पूनम माडम के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा।
पूनम माडम का लोकसभा में प्रदर्शन
पूनम माडम पहले कांग्रेस की विधायक थीं लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने भाजपा ज्वाइन की थी। साल 2014 का चुनाव उन्होंने अपने चाचा के खिलाफ पोरबंदर से लड़ा और विजयी हुई। दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा में पूनम माडम की उपस्थिति 82 प्रतिशत रही और इस दौरान उन्होंने 32 डिबेट में हिस्सा लिया और 323 प्रश्न पूछे हैं। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 14,70,952 थी, जिसमें से मात्र 8,52,643 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिसमें पुरूषों की संख्या 4,86,177 और महिलाओं की संख्या 3,66,466 हैं।
जामनगर, एक परिचय- प्रमुख बातें-
गुजरात राज्य का जामनगर शहर कच्छ की खाड़ी के दक्षिण में स्थित है। जामनगर में आधुनिकता और प्राचीनता का समावेश देखा जा सकता है। जामनगर का निर्माण जामसाहेब ने 1540 में करवाया था। सीमेंट, मिट्टी के बर्तन, वस्त्र और नमक यहां के प्रमुख औद्योगिक उत्पाद हैं। यह शहर बांधनी कला, जरी की कढ़ाई और धातुकर्म के लिए प्रसिद्ध है। जामनगर की कुल आबादी 21,60,675 है, जिसमें से 55 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है तो वहीं 44 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं, यहां 8 प्रतिशत लोग अनुसूचित जाति और 1 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं।
जामनगर, कांग्रेस की सेफ सीट में से एक मानी जाती रही है लेकिन साल 2014 के चुनाव में मोदी लहर के दौरान उसे इस सीट पर करारी हार मिली थी, लेकिन तब से आज के सियासी हालात बदले हुए हैं, गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है, जिसकी वजह से कांग्रेस के अंदर जोश और आत्मविश्वास की वापसी हुई है और इस वजह से ही वो इस सीट को जीतने को दावा कर रही है तो वहीं भाजपा की पूरी कोशिश इस सीट पर अपनी जीत को बचा कर रखने की होगी, देखते हैं जीत और हार के इस खेल में बाजी किसके हाथ लगती और कौन बनता है यहां का सिकंदर।