लोकसभा चुनाव 2019- चांदनी चौक लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से भाजपा के डॉक्टर हर्षवर्धन सांसद हैं। इस सीट पर आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व पत्रकार आशुतोष दूसरे नंबर और कपिल सिब्बल तीसरे नंबर पर रहे। इन तीनों के बीच करीब सवा लाख वोटों का अंतर रहा। हालांकि आशुतोष ने अब आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। साल 2014 में इस सीट पर कुल 1,447,228 मतदाता थे, जिनमें से 791,317 पुरुष और 655,911 महिलाएं। इस सीट पर कुल 69 फीसदी मतदान हुआ। कुल 550,825 पुरुषों ने और 431,038 महिलाओं ने वोट किया।
सांसद चुने जाने के बाद हर्षवर्धन देश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बने। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उन्होंने तमाम प्रयास किये, हालांकि नवम्बर 2014 में ही उनका विभाग बदल दिया गया। हालांकि कैबिनेट में उनकी जगह बरकरार रही। उन्हें पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं मौसम मंत्रालय का भार सौंप दिया गया। डा. हर्षवर्धन ने बतौर सांसद मई 2014 से लेकर दिसम्बर 2018 तक 34 डिबेट में हिस्सा लिया। जबकि राष्ट्रीय औसत 63.8 और राज्य का औसत 61.7 रहा। उन्होंने पांच सालों में सदन में 72 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की। जबकि राज्य का औसत 84 प्रतिशत का है।
अब अगर अलग-अलग पार्टियों के वोट बैंक की बात करें तो कुछ हद तक विधानसभा में विराजमान विधायकों का भी असर वोटबैंक पर है। चांदनी चौक के अंतरर्गत दिल्ली की 10 विधानसभा सीटें आती हैं और दस की दसों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। यानी 2019 के चुनावों में वोट डा. हर्ष वर्धन को वोट करेंगे या नहीं, यह आम आदमी पार्टी के दिल्ली में किये गये काम पर भी निर्भर करेगा। लेकिन अगर इतिहास के पन्ने पलटें तो 1998 के बाद से यह सीट बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस के खाते में जा रही है और हर पार्टी दो-दो कार्यकाल पूरे कर रही है।
1998 और 1999 में भाजपा के विजय गोयल यहां से जीते। फिर 2004 और 2009 में कपिल सिब्बल ने दो बार लगातार जीत दर्ज की। अब देखना यह होगा कि डॉक्टर साहब दिल्ली के इस ट्रेंड को आगे बढ़ा पाते हैं या नहीं। खैर कुल मिलाकर इस चुनाव में आम आदमी पार्टी का रोल बेहद अहम रहने वाला है। कांग्रेस भी भाजपा से इस सीट को वापस छीनने की पुरजोर कोशिशों में है।
अगर पिछले तीन चुनावों के वोट प्रतिशत पर नज़र डालें तो आप पायेंगे कि दिल्ली की जनता का कब किस पर दिल आ जाये, कुछ पता नहीं। 2004 के चुनावों में जहां 71 फीसदी वोट प्रतिशत कांग्रेस के पक्ष में था, वहीं 2009 में वह घट कर साठ प्रतिशत रह गया, जबकि 2014 में उसी दिल्ली के मात्र 17 फीसदी वोटर कांग्रेस के साथ दिखे। वहीं 44 प्रतिशत वोटर भाजपा और 30 प्रतिशत आप के साथ रहे। तो कुल मिलाकर यह कहना कठिन है कि दिल्ली किसे दिल देती है। लेकिन हां यह बात तो पक्की है, दिल्ली की चांदनी चौक सीट उसी को मिलेगी, जिसका काम बोलेगा।