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पीएमसी बैंक घोटाला: एक साल बाद भी फँसे हैं लाखों लोगों के पैसे

ठीक एक साल पहले महाराष्ट्र के पीएमसी बैंक में कथित घोटाले का पता चला था. क्या है इस बैंक के खाताधारकों का हाल?

By निधि राय
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पीएमसी घोटाला
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पीएमसी घोटाला

पिछले साल सितंबर में रिज़र्व बैंक को पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) में हो रहे कथित घोटाले का पता चला.

इस घोटाले के सामने आते ही लाखों बैंकधारकों की मेहनत की कमाई हज़ारों करोड़ों के खेल में फंस गई.आज इस घोटाले को एक साल पूरे हो गए हैं. बीबीसी ने बैंक के कई खाताधारकों से बात कर समझने की कोशिश कि पिछला एक साल उनके लिए कितना मुश्किल भरा रहा.

22 साल की मेघा मोदी बताती हैं, "मेरे भाई से सबसे बड़ी ग़लती यही हुई कि उन्होंने सारे पैसे बैंक ऑफ़ बड़ौदा से पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक में डाल दिए."

मेघा के 24 साल के भाई रौनक मोदी 2 सितंबर को मृत पाए गए थे. परिवार वालों का कहना है कि बैंक में पैसे फंसे होने के कारण वो ख़ुद को मजबूर महसूस कर रहे थे. परिवार और पुलिस का मानना कि उन्होंने आत्महत्या की.

रौनक गुजरात के उमाग्राम में अपनी बहन और मां-बाप से साथ रहते थे. वो एक कॉन्ट्रैक्ट मज़दूर थे और एक मसाला फ़ैक्ट्री में सामान लोड और अनलोड करने का काम करते थे.

रौनक
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रौनक

रौनक के 54 साल के पिता राजेंद्र कहते हैं, "हमने अपना सबकुछ खो दिया है. हमारे पैसे चले गए और बेटा भी."

"वो पढ़ा-लिखा था लेकिन इस महामारी में उसकी नौकरी चली गई थी. मेरी बेटी मेरा घर चला रही थी और ये बात उसे परेशान कर रही थी. वो कुछ छोटे-मोटे काम कर रहा था."

रौनक की मां संगीता मोदी अभी तक सदमे में हैं. वो कहती हैं, "वो पीएमसी खाताधारकों के कई व्हाट्सएप ग्रुप में था. वो जानकारियों पर नज़र रखता था. हर दिन कहता था कि उसे उम्मीद है कि कुछ अच्छा होगा. उसे सिस्टम में बहुत भरोसा था."

"वो एक मज़बूत इंसान था. मुझे नहीं पता था कि पीएमसी केस उसे अंदर से खा रहा है"

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने जब रोक लगाई थी, उसके सिर्फ तीन दिन पहले ही रौनक ने बैंक में सारे पैले डाले थे.

क्या है पीएमसी बैंक का मामला?

सितंबर 2019 में, एक व्हिसल-ब्लोअर की मदद से, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को पता चला कि PMC बैंक मुंबई के एक रियल इस्टेट डेवलेपर को क़रीब 6500 करोड़ रूपये लोन देने के लिए नकली बैंक खातों का उपयोग कर रहा है.

पीएमसी बैंक
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पीएमसी बैंक

इससे बचने के लिए आरबीआई ने 24 सितंबर 2019 को पैसे निकालने पर एक सीमा लगा दी. शुरुआत में हर खाताधारक 50,000 रुपए निकाल सकता था, अब ये सीमा 1 लाख रुपए की है.

प्रवर्तन निदेशालय अब मनी लॉन्ड्रिंग के मामले और जालसाजी के एक मामले की जांच कर रहा है. आरबीआई ने धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दायर किया है.

पीएमसी बैंक की सात राज्यों में 137 शाखाएं हैं. इसके ग्राहक आमतौर पर मध्यम और निम्न वर्ग के लोग हैं।

पीएमसी की तरह, भारत में एक हजार से अधिक सहकारी बैंक हैं. भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार इनके पास क़रीब पांच लाख करोड़ रुपये, यानी भारत के बैंकिंग क्षेत्र की संपत्ति का 11% हैं.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार मेघा और उसके परिवार की तरह, पीएमसी बैंक के नौ लाख के करीब जमाकर्ता अभी भी आरबीआई और सरकारी मदद का इंतज़ार कर रहे हैं.

कई लोग सहकारी बैंको में खाता रखते हैं, वे बचत खातों पर बेहतर ब्याज देते हैं और उन्हें सुरक्षित माना जाता है.

पीएमसी बैंक घोटाला सामने आया तो आरबीआई ने स्पष्ट रूप से कहा कि सहकारी बैंकों के पास पर्याप्त शक्तियां नहीं हैं. इसमें संशोधन के लिए जून 2020 में एक अध्यादेश पारित किया गया था. इसके अनुसार, सरकारी बैंक, 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 बहु-राज्य सहकारी बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक की पर्यवेक्षी शक्तियों के अंतर्गत आ गए.

अब संसद में बैंकिंग विनियमन(रेग्युलेशन) संशोधन बिल 2020 पारित हो गया है जो इस अध्यादेश की जगह लेगा.

क्या कदम उठाने में हुई देरी?

अनिता लोहिया जैसे लोगों के लिए सरकार का ये कदम बहुत देर से आया है.

60 साल की अनीता एक रिटायर्ट स्कूल टीचर हैं. वो बहुत निराश हैं. मुंबई के वाशी के पीएमसी बैंक में उनके चार अकाउंट हैं. उसके पति भी एक प्राइवेट फ़र्म से रिटायर हो चुके हैं.

अनीता लोहिया
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अनीता लोहिया

वो कहती हैं, "हम अपने दोस्तों और परिवार से उधार लेकर घर चला रहे हैं. मैंने अपने मकान का मेंटेनेंस चार्ज पिछले 6 महीनों से नहीं भरा है"

"हम सीनियर सिटीज़न हैं. हमें दवाईयां ख़रीदनी होती हैं और रेग्यूलर चेकअप करवाना होता है. इन सब के लिए पैसे कौन देगा?"

"मुंबई में बैठे गवर्नर आज तक हमसे मिलने नहीं आए. उनके पास हमारे लिए वक्त नहीं है. हम भीख नहीं मांग रहे. हमारे ख़ुद के पैसे बैंक में फंसे हैं."

ज़्यादातर वृद्ध लोगों का बैंक में फिक्स्ड डिपॉज़िट है और वो अपने पैसे का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे. वो इस महामारी से बिना सरकार या आरबीआई की मदद के लड़ रहे हैं.

'...वो और कितनी मौत चाहते हैं?'

यस बैंक के 'No Bank' बन जाने तक की कहानी

अब जब बिल पास हो गया है तो आरबीआई पूरी तरीके से कोऑपरेटिव बैंकों के लिए ज़िम्मेदार है.

पीएमसी ख़ाताधारकों का भविष्य क्या है?

मनीलाइफ़ के मैनेजिंग एडिटर और वरिष्ठ पत्राकार सुचेता दलाला खाताधारकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. वो कहते हैं, "पीएमसी के खाताधारक सही दरवाज़ा नहीं खटखटा रहे हैं."

"समस्या ये है कि आरबीआई किसी खरीददार को ढूंढ कर इससे निपट सकता है लेकिन ऐसा करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है. पहले आरबीआई को इसे छोटे फाइनैंस बैंक में बदलना होगा और फिर एक विकास का रास्ता खोजना होगा ताकि ये एक प्राइवेट बैंक बन सके"

येस बैंक नहीं है पीएमसी

येस बैंक
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येस बैंक

5 मार्च, 2020 को RBI ने "बैंक की वित्तीय स्थिति में गंभीर गिरावट" के कारण 30 दिनों के लिए येस बैंक के बोर्ड की जगह ले ली थी. आरबीआई ने 50,000 के निकास की एक सीमा भी तय कर दी थी. इसके बाद आरबीआई एक प्लान लेकर आया जिसके तहत एसबीआई को 49 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने औऱ येस बैंक में पैसे डालने का कहा गया.

पीएमसी खाताधारतों को जब ये पता चला तो उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा कि उनके साथ अलग बर्ताव क्यों किया जा रहा है. अगर आरबीआई येस बैंक के खाताधारकों की मदद कर सकता है तो पीएमसी के खाताधारकों की क्यों नहीं.

इसपर सफ़ाई देते हुए आरबीआई ने कहा कि कोऑपरेटिव बैंक कोऑपरेटिव सोसाइटींज़ एक्ट 1965 के तहत आते हैं. येस बैंक बैंकिंग रेग्यूलेशन एक्ट 1949 के तहत आता है जो कि बैंकिंग कंपनियों को दूसरे बैंकिंग कंपनी में शेयर खरीदने की इजाज़त देता है. सहकारी बैंकों के लिए बने नियमों में ये प्रावधान नहीं है.

सिर्फ पीएमसी नहीं, आरबीआई ने क़रीब 44 बैंकों पर लेनदेन से जुड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं.

महामारी ने स्थिति और ख़राब कर दी है, बैंकिंग सेक्टर के लिए वर्तमान समय संकट से भरा है क्योंकि कॉरपोरेट और रिटेल के बैड लोन बढ़ रहे हैं.

जानकार मानते हैं सहकारी बैंकों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ेगा क्योंकि उनके पास पहले से बहुत बैड लोन है और महामारी जैसे प्रभाव से निपटने के लिए निय़मों का अभाव है.

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English summary
PMC Bank Scam: Lakhs of people have been trapped even after a year
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