देखिए जंगल की रानी मछली की कुछ खास तस्वीरें
जयपुर। दुनिया की सबसे बूढ़ी शेरनी और 'क्वीन ऑफ जंगल' के नाम से मशहूर मछली का रणथंभौर नेशनल पार्क में निधन हो गया और इसी जगह पर उसका अंतिम संस्कार किया गया।
जुलाई 1997 में मछली पहली बार लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी थी। मछली के चेहरे पर बनी मछली जैसी आकृति की वजह से उसे पार्क में मछली नाम दिया गया था।
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मछली देश में चलाए जा रहे टाइगर कंजर्वेशन प्रोग्राम का चेहरा थी फॉरेस्ट ऑफिसर्स के मुताबिक उसने 12 अगस्त को आखिरी बार खाना खाया था। वह पहले भी बीमार पड़ी थी।
1997 में हुआ था जन्म
मॉनसून में मछली पहली बार लोगों की नजरों में आई थी। उसका जन्म वर्ष 1997 में हुआ था।
लेडी ऑफ लेक मछली
उसे अक्सर रणथंभौर स्थित तालाबों के आसपास ही देखा जाता था। तालाब के आसपास ही रहने की वजह से उसे 'लेडी ऑफ द लेक' भी कहते थे और यह नाम उसकी मां को भी दिया गया था।
सबसे बूढ़ी मछली
मछली करीब 20 वर्षों तक जिंदा रही और शेरों की प्रजाति में उसे सबसे बूढ़ा माना जाता था।
क्रोकाडाइल किलर मछली
मछली को 'क्रोकोडाइल किलर' भी कहते थे। उसने 14 फिट लंबे मगरमच्छा को डेढ़ घंटे की लड़ाई के बाद मार डाला था।
11 बच्चों की मां
मछली ने रणथंभौर में नौ शावकों को जन्म दिया था और पहली बार उसने वर्ष 2001 में शावक को पैदा किया था। उसकी दो बेटियां इस समय सरिस्का नेशनल पार्क में हैं।
50 मिनट की डॉक्यूमेंट्री
मछली पर 50 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है और इसे नेशनल ज्योग्राफिक और एनीमल प्लानेट चैनल्स पर टेलीकास्ट किया जा चुका है।