Article 370 पर UNGA में जाने से पहले ही कैसे निपट गया पाकिस्तान, 7 प्वाइंट में जानिए
नई दिल्ली- पाकिस्तान बड़ी तंगहाली की दौर से गुजर रहा है। आतंकवाद पर लगाम नहीं लगा पाने के चलते अगले महीने फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) से ब्लैक लिस्ट होने की कगार पर खड़ा है। लेकिन, बावजूद पाकिस्तान को संभालने के वहां के पीएम इमरान खान पिछले करीब दो महीने से भारत के अपने एक राज्य जम्मू-कश्मीर से विशेषाधिकार खत्म करने के फैसले के पीछे पड़े हुए हैं। वे इसी मुद्दे को लेकर अभी न्यूयॉर्क भी पहुंचे हैं और आने वाले 27 सितंबर को यूएन जनरल असेंबली में भी उनका कश्मीर ही एजेंडा रहने वाला है। इमरान और पाकिस्तान से उलट भारत है। यहां 5 अगस्त को न सिर्फ आर्टिकल-370 हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर को भी बिना किसी हिंसा के सामान्य हालात में लाने की कोशिशों में सफलतापूर्वक जुटा है, साथ ही साथ कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान के हर नापाक मंसूबों पर पानी भी फेर चुका है। भारत की सुलझी हुई रणनीति से कश्मीर मसले पर पाकिस्तान बुरी तरह पिट चुका है और उसके नापाक इरादों के ताबूत में यूएन जनरल असेंबली में अंतिम कील लगना बच गया है। जानिए, भारत ने जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र आमसभा में पहुंचने से पहले ही कैसे पूरी तरह निपटा दिया है।
कश्मीर पर पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती
कश्मीर की डफली बजाने के लिए इमरान खान अपने साथ कुछ पत्रकारों को भी न्यूयॉर्क लेकर पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक मंच से कश्मीर मसले को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के सामने दो-दो बार भारत की स्थिति साफ कर चुके हैं। लेकिन, फिर भी एक पाकिस्तानी पत्रकार ने इमरान की मौजूदगी में कश्मीर का रोना रोने की कोशिश की। पत्रकार ने ट्रंप से पूछा कि कश्मीर में 50 दिनों से इंटरनेट और खाने-पीने की चीजों की सप्लाई ठप है। इस पर ट्रंप ने उस पाकिस्तानी पत्रकार से पूछा कि 'क्या वह पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा है? क्योंकि, आप जो सोच रहे हैं वहीं कर रहे हैं। आपका सवाल एक बयान है।' इसके बाद उन्होंने इमरान खान पूछ लिया, 'आप ऐसे पत्रकार कहां से ढूंढ़कर ले आते हैं?' ट्रंप के इस सवाल पर इमरान खान की बोलती बंद हो चुकी है।
हाउडी मोदी को लेकर ट्रंप ने इमरान को दिखाया आईना
कश्मीर की रट लगाने वाले पाकिस्तान को दुनिया के सामने अपनी हैसियत का तब अंदाजा लग गया, जब इमरान खान की मौजूदगी में हाउडी मोदी को लेकर ट्रंप ने पीएम मोदी के तारीफों के पूल बांधने शुरू कर दिए। ट्रंप ने उस कार्यक्रम में पीएम मोदी के आक्रामक भाषण की काफी तारीफ की। उन्होंने बताया कि जब पीएम मोदी बोल रहे थे तो स्टेडियम में मौजूद 50,000 श्रोताओं तक कैसे उनका संदेश पहुंच रहा था। मजे की बात है कि मोदी के भाषण में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की ओर ही इशारा किया गया था और जम्मू-कश्मीर में उठाए कदमों के बारे में उन्होंने भारतीय-अमेरिकियों के सामने खुलकर अपनी बातें रखी थीं। यही नहीं ट्रंप ने इमरान को ये भी कहा है कि आपको बहुत अच्छे पड़ोसी मिले हुए हैं। अगर अमेरिका के इन इशारों को भी पाकिस्तान समझना नहीं चाहता तो यह उसकी नादानी ही कही जा सकती है।
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इमरान ने मान लिया आतंकी पैदा करता है आईएसआई
भारत हमेशा से कहता रहा है कि कश्मीर में आर्टिकल-370 की आड़ में पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। भारत यह बात बार-बार साबित कर चुका है कि कश्मीर में सक्रिय आतंकी आईएसआई और पाकिस्तानी सेना से प्रशिक्षित हैं। अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने खुद कबूल लिया है कि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों में से एक रहे ओसामा बिन लादेन के आतंकी संगठन अल-कायदा के कैडर आईएसआई और पाक आर्मी ने ही तैयार किए थे, जिन्होंने न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 जैसे कुख्यात आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इमरान ने पाकिस्तान का ये गुनाह अमेरिकी थिंक टैंक काउिंसल ऑन फॉरन रिलेशंस (सीएफआर) के सामने कबूल लिया है। यही नहीं इमरान ने ये भी माना कि आईएसआई ने आतंक की फौज तैयार करने के लिए दुनिया भर के मुस्लिमों को ट्रेनिंग दी है। भले ही इमरान ने इस कबूलनामे को अफगानिस्तान और पूर्व सोवियत संघ की ओर घुमाने की कोशिश की हो, लेकिन उन्होंने अनजाने में भारत के दावे की अंतरराष्ट्रीय मंच पर पुष्टि कर दी है कि आतंकवाद वहां की सरकार और सेना की नीतियों में शामिल है और इसलिए वे जम्मू-कश्मीर में हुए संवैधानिक बदलाव से बिलबिलाए हुए हैं। यही नहीं अब पाकिस्तान की पीओके में भी स्थिति कमजोर पड़ चुकी है और हो सकता है कि यूएनजीए में इमरान की बातों का जवाब देते हुए राइट टु रिप्लाई के तहत भारत उसे वापस लेने का अपना संकल्प भी जता दे।
ट्रंप के सामने पाकिस्तान की दो बार हुई धुलाई
आर्टिकल-370 हटने के बाद पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ दो बार मुलाकात हो चुकी है और दोनों ही बार उन्होंने अमेरिका समेत पूरी दुनिया को दो टूक कह दिया है कि जम्मू-कश्मीर में हुआ परिवर्तन भारत का अंदरूनी मामला है। पिछले महीने फ्रांस के बिरिट्ज शहर में उन्होंने ट्रंप के सामने स्पष्ट कर दिया था कि कश्मीर में जो भी संवैधानिक बदलाव किए हैं, वो अपने संप्रभु अधिकारों के तहत किए हैं। इस मामले में किसी भी तीसरे पक्ष के टांग अड़ाने देने का सवाल ही नहीं उठता। दरअसल, जुलाई में इमरान व्हाइट हाउस में ट्रंप से मिले थे और उनकी गुजारिश पर ट्रंप ने मध्यस्थता की इच्छा जता दी थी, जिसे भारत ने पूरी तरह खारिज कर दिया। दूसरी बार अमेरिका के ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने ट्रंप और 50 हजार अमेरिकी-भारतीयों की मौजूदगी में एक बार फिर से कश्मीर की संवैधानिक स्थिति स्पष्ट कर दी और वहां कायम हुई शांति से पाकिस्तान की बिलबिलाहट के कारणों को भी उजाकर कर दिया। भारत के स्टैंड से अब पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान बुरी तरह अकेला पड़ चुका है।
भारत के साथ खड़े हैं ज्यादातर देश
5 अगस्त के बाद प्रधानमंत्री मोदी पिछले महीने फ्रांस के बिरिट्ज शहर में दुनिया के सात ताकतवर देशों के जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले चुके हैं। कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका को भारत का स्टैंड बताया जा चुका है। फ्रांस,जापान और रूस जैसे बड़े देश खुलकर भारत के साथ हैं। जी-7 के बाद पीएम मोदी यूएई,सऊदी अरब और बहरीन जैसे देशों का भी दौरा कर आए हैं और सभी देशों ने इस मसले पर पाकिस्तान से दूरी बना ली है। ऊपर से इन सारे मुस्लिम देशों ने मोदी को अपने देश के सर्वोच्च सम्मानों से भी नवाजा है। इमरान भाग-भाग कर इन देशों के दौरे कर रहे हैं। लेकिन, सबने कह दिया है कि मुस्लिम होने के नाते वे पाकिस्तान के भाई तो हो सकते हैं, लेकिन दोस्त तो भारत है और वे कश्मीर मसले पर भारत का साथ नहीं छोड़ेंगे।
सुरक्षा परिषद में भी फेल
चीन अपना अरबों डॉलर पाकिस्तान में निवेश कर चुका है। पाकिस्तान में चल रही अनेकों चाइनीज परियोजनाओं के लिए लाखों चीनी नागरिक पाकिस्तान में मौजूद हैं। ऊपर से उइगर मुसलमानों पर जुर्म को दबाने में पाकिस्तान ही चीन की मदद कर रहा है। जबकि, भारत ने चीन की चालबाजियों पर कभी भरोसा नहीं किया है। इन सब वजहों से सुरक्षा परिषद में चीन ने बैकडोर से कश्मीर पर एक प्रस्ताव पास कराने में पाकिस्तान की मदद की कोशिश जरूर की थी, लेकिन वहां भी भारत की कूटनीति ने चीन और पाकिस्तान दोनों को बगलें झांकने के लिए मजबूर कर दिया। भारत के स्टैंड के खिलाफ सुरक्षा परिषद कुछ भी नहीं कर सका, क्योंकि चीन को छोड़कर बाकी किसी देश ने उसका साथ नहीं दिया। खास बात ये है कि चीन ने भी पीछे से ही सारा खेल किया, सामने से वह भी भारत के खिलाफ आने के लिए तैयार नहीं हुआ।
पाकिस्तान को अमेरिकी मान चुके हैं सबसे खतरनाक देश
कश्मीर मामले पर बार-बार पिट चुके पाकिस्तान की असलियत हाल ही में अमेरिका के एक पूर्व रक्षा सचिव जेम्स मैटिस ने दुनिया के सामने लाकर रख दी थी। उन्होंने रक्षा मामलों पर अपने काफी लंबे अनुभव के आधार पर कहा था कि पाकिस्तान दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने यह भी कहा था कि पाकिस्तान भारत को दुश्मन की नजर से देखता है और उसकी पूरी राजनीति ही भारत के विरोध पर टिकी हुई है। उन्होंने अपने दावे के समर्थन में कहा था कि वे ट्रंप सरकार उससे पहले सैन्य सेवा में दशकों तक पाकिस्तान के संपर्क में रहे हैं और उसकी रग-रग से वाकिफ हैं। जेम्स मैटिस की यही लाइन भारत की लाइन रही है, जिसे पीएम मोदी ने दुनिया के हर मंच पर पिछले 5 वर्षों से बताया है और अब उसने रंग भी दिखाया है। जिसके चलते पाकिस्तान और इमरान खान कश्मीर मसले पर पूरी तरह अलग-थलग पड़ चुके हैं और उसकी असलियत सामने लाने की भारत की रणनीति पूरी तरह सफल रही है।
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