आपराधिक प्रक्रिया पहचान विधेयक का चिदंबरम ने किया विरोध, कहा- निजता और गरिमा का हनन करने वाला
नई दिल्ली, 6 अप्रैल। केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह ने बुधवार को क्रिमिनल प्रोसीजर (आइडेंटिफिकेशन) बिल 2022 को पास होने के लिए राज्यसभा में पेश किया। बिल पास होने के बाद आपराधिक मामलों में पहचान और जांच के लिए एजेंसियों के पास दोषियों और अन्य व्यक्तियों की निजी जानकारियों का रिकॉर्ड रखने का अधिकार होगा। लोकसभा में यह बिल 4 अप्रैल का पास हो चुका है। राज्यसभा में पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बिल को असंवैधानिक और निजता और गरिमा का हनन करने वाला बताया है।
चिदंबरम ने कहा कि बिल को बनाते समय "सरकार ने सेल्वी और पुट्टस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों पर भी ध्यान नहीं दिया।"
कांग्रेस नेता ने कहा "सेल्वी मामले में अदालत ने कहा है पॉलीग्राफी, नार्कोएनालिसिस और ब्रेन इलेक्ट्रिकल एक्टिवेशन प्रोफाइल (बीईएपी) किसी के वैयक्तिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।"
क्या
है
इस
बिल
में?
अभी
तक
पुलिस
या
अन्य
एजेंसियां
1920
में
बने
कानून
की
मदद
से
अपराधियों
की
पहचान
करती
थी।
मोदी
सरकार
का
नया
बिल
इसी
100
साल
पुराने
कानून
की
जगह
लेगा।
पहले
के
बिल
में
जहां
पुलिस
अपराधियों
की
पहचान
के
लिए
पुलिस
अपराधियों
के
फिंगरप्रिंट
और
तस्वीरें
लेने
का
प्रावधान
था।
अब
नए
बिल
में
पुलिस
इसके
अतिरिक्त
आंखों
की
रेटिना
और
बॉयोमेडिकल
सैंपल
भी
ले
सकेगी।
यही
वजह
है
कि
बिल
का
विरोध
सिर्फ
विपक्ष
ही
नहीं
बल्कि
मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं
की
तरफ
से
भी
हो
रहा
है।
अपराधियों की पहचान के लिए लाया गया बिल लोकसभा में पास, अमित शाह ने विपक्ष से पूछे तीखे सवाल