1 मोदी के 11 दुश्मन और शपथ के बहाने विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन
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नई दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस और जेडी(एस) के गठजोड़ ने बीएस येदुरुप्पा को सरेंडर करने के लिए मजबूर कर दिया और बुधवार को किंगमेकर ने राज्य के किंग के रूप में शपथ ले ली। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में एचडी कुमारस्वामी के शपथ मंच पर देश के विपक्ष का लगभग हर नेता मंच पर एक साथ दिखा और 2019 के लिए अपनी तैयारी का शक्तिप्रदर्शन की पहली झलक पेश की। हालांकि, कर्नाटक में भले ही कांग्रेस और जेडीएस अपने सरकार बनने का जश्न मना रही है, लेकिन राज्य की जनता ने बीजेपी को सबसे ज्यादा चाहा है और इसे इनकार नहीं किया जा सकता।
जेडी(एस) के चीफ एचडी देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में कांग्रेस से लेकर लेफ्ट तक पूरा विपक्ष एक दूसरे का हाथ पकड़कर मंच पर दिखा। इस मंच पर देश की क्षेत्रीय या राष्ट्रीय पार्टियों के जमावड़े ने संकेत दे दिया कि मोदी और बीजेपी को काउंटर करना है तो एक साथ मिलकर चलना ही पड़ेगा और यह बात शायद कांग्रेस को भी अच्छी तरह से समझ में आ गई है।
कर्नाटक में बुधवार को शपथ ग्रहण मंच पर कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी, टीएमसी की ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (जिन्होंने हाल ही में बीजेपी के साथ नाता तोड़ दिया), पूर्व यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती, लेफ्ट से सीताराम येचूरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आरजेडी से तेजस्वी यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, आरएलडी प्रमुख अजित सिंह जैसे कुल 11 विपक्षी नेताओं ने 2019 में अकेले मोदी को काउंटर करने के लिए हुंकार भरी।
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में जैन विश्वविद्यालय में एक राजनीतिक विशेषज्ञ और प्रो वाइस चांसलर संदीप शास्त्री कहते हैं कि कर्नाटक में गठबंधन एक राष्ट्रीय स्तर पर एंटी-बीजेपी गठबंधन के लिए एक मंच तैयार हुआ है। लेकिन, यह मंच कितने दिन तक टिका रहेगा, यह अपने आप में बड़ा सवाल है।
देश के 29 में से 20 राज्यों में बीजेपी रूल कर रही है। वहीं, इस बार हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जिसका उन्हें गुरूर है कि राज्य की जनता ने उन्हें सबसे ज्यादा चाहा है। इसके अलावा हाल ही में पश्चिमी बंगाल में हुए पंचायती चुनाव में बीजेपी भले ही दूसरे नंबर पर रही, लेकिन ममता को अपने भविष्य की शायद चेतावनी मिल गई है।
मोदी को हराने के लिए सिर्फ राजनीतिक गठबंधन की राह भी आसान नहीं है। क्योंकि कई पुराने कांग्रेसी नेता क्षेत्रीय दलों के साथ जाकर सत्ता स्वीकार नहीं करना चाहेंगे। हालांकि, 2019 से पहले अगला टेस्ट राजस्थान और मध्यप्रदेश के विधानसभा में चुनावों में देखने को मिलेगा, जहां बीजेपी और कांग्रेस की सीधी टक्कर होगी।