बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर ओवैसी ने पूछा- क्या ये महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है
बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर ओवैसी ने पूछा- क्या ये महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है
नई दिल्ली, 16 अगस्त: गुजरात दंगो के दौराना बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात लोगों की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषियों की रिहाई पर असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला। ओवैसी ने पीएम मोदी से सवाल किया कि क्या दोषियों की रिहाई महिला सशक्तिकरण का एक उदाहरण है।
Recommended Video
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रेम कान्फ्रेंस में कहा 'हम इसकी निंदा करते हैं। देश देख रहा है कि कैसे भाजपा महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के सम्मान के लिए केवल जुमलेबाजी करती है। लेकिन जब मुस्लिम महिलाओं की बात आती है तो वे उन्हें भूल जाती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ऐसे फैसले लेती है जो "एक समुदाय को लाभ पहुंचाते हैं"।
नारी शक्ति का समर्थन करने की बात की और उसी दिन रिहा कर दिया
ओवैसी ने कहा कि अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीयों से महिलाओं की गरिमा को कम करने वाला कुछ भी नहीं करने का संकल्प लेने को कहा था। उन्होंने 'नारी शक्ति' का समर्थन करने के बारे में कुछ कहा और गुजरात भाजपा सरकार ने उसी दिन सामूहिक बलात्कार के दोषी अपराधियों को रिहा कर दिया। संदेश स्पष्ट है।
तो फिर इन्हें भी रिहा कर दें
उन्होंने कहा अगर ऐसा है, तो गोधरा के लिए जेल में बंद लोगों को रिहा कर दें, रुबीना मेमन जो 17 साल से जेल में है, उसके नाम पर वाहन नहीं होने के बावजूद। जो वडोदरा सीरियल ब्लास्ट के मामले में जेल में हैं। लेकिन आप (भाजपा) केवल एक समुदाय के पक्षपाती हैं। यह भाजपा की सच्चाई है।'
15 अगस्त को 11 दोषियों को किया गया है रिहा
गोधरा में साबरमती ट्रेन की घटना के बाद भड़की हिंसा से भागते समय बिलकिस बानो 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी। बिलकिस बानो के जिन 11 दोषियों को सजा पूरा होने से पहले 15 अगस्त को रिहा किया गया उनमें जसवंतभाई नई, गोविंदभाई नई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोर्धिया, बकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल हैं।
अभी
तक
नौकरी
या
घर
नहीं
दिया
बिलकिस
बानो
के
पति
याकूब
रसूल
ने
कहा
कि
उन्हें
मीडिया
से
उनकी
रिहाई
के
बारे
में
पता
चलाा।
हमें
कभी
किसी
तरह
का
नोटिस
नहीं
मिला।
रसूल
ने
कहा
कि
गुजरात
सरकार
ने
सुप्रीम
कोर्ट
के
निर्देश
के
अनुसार
परिवार
को
50
लाख
रुपये
का
मुआवजा
दिया
है,
लेकिन
शीर्ष
अदालत
के
निर्देश
के
अनुसार
अभी
तक
नौकरी
या
घर
नहीं
दिया
है।
रसूल
ने
कहा
कि
वह
अपनी
पत्नी
और
पांच
बेटों
के
साथ
छिपकर
रहता
है,
जिनमें
सबसे
बड़ा
20
साल
का
है।